Ganesh Chaturthi 2024: दिल्ली में इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों की मांग में उछाल

Ganesh Chaturthi 2024: दिल्ली के बाजारों में गणेश चतुर्थी से पहले गणपति बप्पा की मूर्तियों, पंडालों, सिंहासन, मोदक और अन्य सामानों की जोरदार खरीदारी हो रही है। नंगली डेयरी, सरोजिनी नगर, सागरपुर, मॉडल टाउन, इंद्रपुरी, और आरके पुरम समेत कई क्षेत्रों में इन मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है। दिल्ली ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे अन्य राज्यों से भी लोग इन इको-फ्रेंडली मूर्तियों की मांग कर रहे हैं।

इको-फ्रेंडली मूर्तियों की बढ़ती मांग

Ganesh Chaturthi 2024
Ganesh Chaturthi 2024

सागरपुर की सीता, जो इको-फ्रेंडली मूर्तियों का निर्माण कर रही हैं, बताती हैं कि इन मूर्तियों के विसर्जन से जलजीवों को कोई नुकसान नहीं होता। पहले प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों का चलन था, जिनके तालाबों में विसर्जन पर प्रशासन ने रोक लगा दी थी। इसके बाद से इको-फ्रेंडली मूर्तियों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इस साल, पिछले साल की तुलना में इन मूर्तियों की मांग 50% बढ़ गई है।

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गंगा की मिट्टी से तैयार होती हैं मूर्तियां

पश्चिम बंगाल की मिट्टी और मध्य प्रदेश की लकड़ी से बनी भगवान गणेश की मूर्तियां दिल्ली में सजाई जा रही हैं। मूर्तियों को बनाने में चार प्रकार की मिट्टी, पराली, और अन्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। कलाकार कलकत्ता से गंगा की मिट्टी लेकर आए हैं, जबकि लकड़ी और बांस मध्य प्रदेश के खंडवा और खरगोन से लाए गए हैं। 10 फुट तक ऊंची मूर्तियों की कीमत 500 रुपए से लेकर 12 हजार रुपए तक है।

छोटी मूर्तियों की बढ़ती मांग

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सरोजिनी नगर की 14 साल की दामिनी, जो बचपन से मूर्तियां बना रही हैं, बताती हैं कि इस बार छोटी मूर्तियों की भी मांग काफी बढ़ गई है। अब लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित कर रहे हैं। दामिनी के अनुसार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भी लोग मूर्तियां खरीदने आते हैं। उनके पास भगवान गणेश की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां मौजूद हैं, जो मोर, नंदी, घोड़े, सिंहासन पर विराजमान हैं या फिर नाचते और खाते हुए दिखते हैं।

4 इंच से लेकर 10 फुट तक की मूर्तियां

नजफगढ़ के नंगली डेयरी के मूर्तिकार भोले बताते हैं कि इस बार भी लाल बाग के राजा, अष्टविनायक, अमरावती के गणेश, सिद्धि विनायक, बाल गणेश, शृंगार गणेश और पगड़ी वाले गणेश की मूर्तियों की भारी मांग है। 4 इंच से लेकर 10 फीट तक की मूर्तियों की कीमत 300 रुपये से 15 हजार रुपये तक है। इन मूर्तियों को विभिन्न प्रकार की मिट्टी और नारियल के बुरादे से तैयार किया जा रहा है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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