Government ने GPF की ब्याज दर 7.1% पर स्थिर रखी, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए झटका

Government: वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने ‘एक अक्तूबर से 31 दिसंबर‘ तिमाही के लिए जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) और अन्य प्रोविडेंट फंडों की ब्याज दरों की घोषणा की है। इस बार ब्याज दर 7.1% पर स्थिर रखी गई है, जो पिछले पांच वर्षों से अपरिवर्तित है। यह निर्णय केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक झटका माना जा रहा है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि एनडीए सरकार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगी।

पिछले तिमाहों में ब्याज दरें

हाल ही में, वित्त मंत्रालय ने 3 अक्तूबर को जीपीएफ की ब्याज दरों की घोषणा की। पिछले जुलाई-सितंबर की तिमाही में भी ब्याज दर 7.1% रही थी। इससे पहले, 2021-22 के दौरान भी ब्याज दरें इसी स्तर पर बनी रहीं। विशेष रूप से, कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 18 माह से रोका गया था, जिससे उनकी उम्मीदें बढ़ गई थीं कि सरकार जीपीएफ की ब्याज दरों में वृद्धि करेगी।

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जीपीएफ के अंतर्गत आने वाले विभाग

जीपीएफ के अंतर्गत आने वाले विभाग
जीपीएफ के अंतर्गत आने वाले विभाग

Government: यह ब्याज दरें विभिन्न प्रकार के प्रोविडेंट फंडों पर लागू होती हैं, जैसे:

  • सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं)
  • अंशदायी भविष्य निधि (भारत)
  • अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि
  • राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं)
  • भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि

वार्षिक योगदान की सीमा

Government: केंद्र सरकार ने एक वित्त वर्ष में जीपीएफ में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय कर दी है। कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90% राशि निकाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए नियम और शर्तें बदलती रहती हैं। जीपीएफ राशि का उपयोग बच्चे की शिक्षा, शादी, घर बनाना, प्लॉट खरीदना, और घर के लोन चुकाने जैसी जरूरतों के लिए किया जा सकता है।

इस प्रकार, जीपीएफ की स्थिर ब्याज दर और नए योगदान नियम केंद्रीय कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, और उन्हें अपनी बचत की योजना को फिर से सोचना पड़ सकता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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