कश्मीर: श्रीनगर की हब्बा कदाल सीट पर 10 साल बाद चुनावी हलचल – कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान हब्बा कदाल सीट पर बीजेपी द्वारा कश्मीरी पंडित अशोक भट को टिकट देने की खबर ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह सीट मुस्लिम बहुल होने के बावजूद, बीजेपी ने कश्मीरी पंडित उम्मीदवार को चुनावी मैदान में उतारकर एक नई रणनीति अपनाई है।
हब्बा कदाल सीट की चुनावी लड़ाई: बीजेपी का नया दांव
कश्मीरी पंडितों की वर्तमान स्थिति – श्रीनगर में केवल 455 कश्मीरी पंडित हैं और पूरे कश्मीर में उनकी संख्या महज 6514 है। हब्बा कदाल में तो केवल तीन से चार कश्मीरी पंडित परिवार ही निवास करते हैं। इस समीकरण को देखते हुए, बीजेपी ने इस सीट पर कश्मीरी पंडित को टिकट देने का जोखिम क्यों उठाया, यह सवाल प्रमुख है।
कश्मीर: बीजेपी की रणनीति और चुनावी इतिहास – हब्बा कदाल का चुनावी इतिहास भी दिलचस्प है। साल 1996 में नेशनल कांफ्रेंस के कश्मीरी पंडित प्यारे लाल हांडू ने जीत हासिल की थी। 2002 में निर्दलीय रमन मट्टू ने भी जीत दर्ज की। हालांकि, 2008 और 2014 में नेशनल कांफ्रेंस की शमीम फिरदौस ने सीट पर कब्जा जमाया था। इन परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि कश्मीरी पंडित उम्मीदवार चुनावी मैदान में खड़ा होता है तो उसे वोट मिलते हैं।
बीजेपी की चुनावी रणनीति – बीजेपी ने हब्बा कदाल में कश्मीरी पंडित उम्मीदवार अशोक भट को उतारकर न केवल कश्मीरी पंडितों को यह संदेश दिया है कि पार्टी उनके मुद्दों के प्रति प्रतिबद्ध है, बल्कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों के वोटबैंक को भी साधने की कोशिश की है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता जितेंद्र सिंह और अन्य पार्टी नेता प्रचार में जुटे हुए हैं, और पीएम मोदी की नीतियों के लाभ का दावा कर रहे हैं।