राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने राजस्थान में ‘स्वयंसेवक एकत्रीकरण’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने हिंदू समाज से अपील की कि वे भाषा, जाति और क्षेत्रीय विवादों को समाप्त करके अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट हों। भागवत ने कहा, “हिंदू हर किसी को अपना मानते हैं और सभी को गले लगाते हैं।”
RSS: 3,827 स्वयंसेवकों को संबोधित
इस कार्यक्रम में मोहन भागवत ने 3,827 स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस अवसर पर आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी रमेश अग्रवाल, जगदीश सिंह राणा, रमेश चंद मेहता और वैद्य राधेश्याम गर्ग सहित कई अन्य लोग भी उपस्थित थे।
हिंदुओं की एकजुटता की आवश्यकता
आरएसएस प्रमुख ने हिंदू समाज की एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि हमें भाषा, जाति और क्षेत्रीय असमानताओं को समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि समाज का निर्माण संगठन, सद्भावना और श्रद्धा पर आधारित होना चाहिए। भागवत ने स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे समुदायों के भीतर संपर्क बनाए रखें और समाज को सशक्त बनाएं।
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समाज की बुनियादी जरूरतें
मोहन भागवत ने कहा कि हमारा ध्यान न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्वयंसेवकों को हमेशा सक्रिय रहना चाहिए और परिवारों में सद्भाव, पर्यावरण जागरूकता, स्वदेशी मूल्यों और नागरिकों की चेतना को बढ़ावा देना चाहिए।
भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा
आरएसएस प्रमुख ने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा उसकी ताकत पर निर्भर करती है। भागवत ने कहा कि विदेशों में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित होती है जब उनका राष्ट्र मजबूत होता है।