Ravana: रावण जितना बलशाली था, उतना ही विद्वान भी। उसकी विद्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब भगवान राम के बाण से घायल होकर वह अंतिम सांसें ले रहा था, तो राम ने लक्ष्मण को उससे ज्ञान लेने के लिए कहा था। आइए जानते हैं, रावण के जन्म से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां, उसकी विद्वता, और कुछ अन्य रोचक तथ्य।
रावण का जन्म स्थान और ब्रह्मराक्षस की उपाधि
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण पिता के पक्ष से ब्राह्मण और नाना के पक्ष से क्षत्रिय राक्षस था, इसीलिए उसे ब्रह्मराक्षस की संज्ञा दी गई। रावण के दादा ऋषि पुलस्त्य थे, जो ब्रह्मा के 10 मानस पुत्रों और सप्तऋषियों में से एक थे। रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के पास स्थित बिसरख गांव में माना जाता है। यहां दशहरा का त्योहार नहीं मनाया जाता, क्योंकि अतीत में रावण का पुतला जलाने के बाद यहां कई लोगों की मौत हो गई थी।
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चारों वेदों का ज्ञाता और महान संगीतज्ञ
रावण केवल बलशाली राजा ही नहीं था, वह चारों वेदों का ज्ञाता था और संगीत में भी उसे महारथ हासिल थी। उसने शिवतांडव और अन्य कई महान रचनाओं की थी। माना जाता है कि रुद्र वीणा बजाने में उसे कोई नहीं हरा सकता था। चिकित्सा विज्ञान में भी रावण को महारथ हासिल थी, और उसने कई किताबें लिखीं, जिनमें आयुर्वेद पर आधारित पुस्तकें भी शामिल थीं।
लंका पर कब्जा और शिव की भक्ति
लंका मूल रूप से भगवान शिव और पार्वती के लिए बनाई गई थी, जिसे रावण ने अपने पिता ऋषि विश्रवा के माध्यम से प्राप्त किया। रावण ने लंका पर अपने बल से कब्जा कर लिया और वहां शासन करने लगा। उसकी भक्ति का प्रमाण यह है कि उसने शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव स्तोत्र की रचना की थी।
ज्योतिष शास्त्र और शनि देव को बंदी बनाना
रावण ज्योतिष शास्त्र में भी माहिर था। उसने अपने पुत्र मेघनाद के जन्म से पहले ग्रहों और नक्षत्रों को अपने अनुकूल कर लिया था ताकि उसका पुत्र अमर हो सके। लेकिन शनिदेव ने अंतिम समय में चाल बदल दी, जिससे रावण नाराज होकर शनिदेव को बंदी बना लिया था।
शिव-पार्वती की लंका छीनने की कथा
Ravana: रावण की लंका शिव-पार्वती के लिए बनाई गई थी, लेकिन उसने अपने पिता के माध्यम से इसे प्राप्त कर लिया। इसके बाद रावण ने लंका पर कब्जा किया और कुबेर को धमकी देकर उसे अपनी कर ली।