क्या PM Modi का ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सपना अब पूरा होने वाला है?

विपक्षी दलों के सामने इन दिनों एक और बड़ी चुनौती उभर रही है, जिसका नाम है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ – यानी एक राष्ट्र, एक चुनाव। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और बीजेपी के मेनिफेस्टो का हिस्सा भी रहा है। अब चर्चा तेज हो गई है कि 2029 के लोकसभा चुनाव तक यह योजना पूरी तरह से लागू हो सकती है।

PM Modi ने लाल किले से इस मुद्दे का जिक्र किया था, और मार्च में कोविंद कमेटी ने इस पर अपनी सिफारिशें भी दी थीं। मोदी सरकार 3.0 के 100 दिन पूरे होने के साथ ही इस योजना पर बहस और तेज हो गई है।

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वन नेशन, वन इलेक्शन: क्या है योजना?
वन नेशन, वन इलेक्शन का मतलब है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कुछ अहम सुझाव दिए गए थे:

सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव (2029) तक बढ़ाया जाए।
हंग असेंबली या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में, बाकी बचे 5 साल के कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जाएं।
पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं, और उसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएं।
क्यों है यह पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट?
पीएम मोदी और बीजेपी का मानना है कि बार-बार चुनाव कराने से देश लगातार चुनावी मोड में रहता है, जिससे विकास कार्य प्रभावित होते हैं। साल 2018 में लॉ कमीशन ने इस पर एक ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसमें वन नेशन, वन इलेक्शन के समर्थन में कुछ तर्क दिए गए थे:

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एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्च में कमी आएगी।
चुनावी प्रक्रिया के चलते जो सरकारी मशीनरी चुनाव कराने में व्यस्त रहती है, वह विकास कार्यों पर फोकस कर सकेगी।
सरकार की नीतियां बिना रुकावट के लागू हो पाएंगी।
देश को बार-बार चुनावी माहौल से मुक्त किया जा सकेगा।
विपक्ष का विरोध
हालांकि, विपक्षी दलों को यह योजना पीएम मोदी का ‘चक्रव्यूह’ लगती है। उनका मानना है कि यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है और यह सरकार का ध्यान भटकाने की कोशिश हो सकती है।

कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत

“सरकार ने अब तक हमें कोई ड्राफ्ट नहीं भेजा है, तो हम इसे कैसे समझें? सरकार को ऑल पार्टी मीट बुलानी चाहिए।”

उद्धव ठाकरे

“चार राज्यों के चुनाव एक साथ नहीं करा पाए, और अब वन नेशन, वन इलेक्शन की बात कर रहे हैं।”

संवैधानिक चुनौतियां
राजनीतिक विवादों से परे, वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए कुछ संवैधानिक चुनौतियां भी हैं:

संविधान में संशोधन: कम से कम 5 बड़े संवैधानिक संशोधन करने होंगे।
राज्यों की मंजूरी: कम से कम 50% राज्यों को इन संशोधनों पर सहमति देनी होगी।
संसदीय बहुमत: संसद में बहुमत से बिल पास करवाना होगा।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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