Jammu and Kashmir Assembly Elections में कई पूर्व अलगाववादी नेता अब चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाते नजर आ सकते हैं। इनमें संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई एजाज अहमद गुरु, सर्जन बरकती और सयार अहमद रेशी शामिल हैं। इन नेताओं का चुनावी मैदान में उतरना घाटी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को संकेत देता है।
एजाज गुरु की चुनावी पारी
2001 में हुए संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई एजाज गुरु निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अफजल गुरु को संसद हमले के दोष में फांसी की सजा दी गई थी। अब एजाज गुरु भी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं। माना जा रहा है कि वह किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ेंगे और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे।
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सर्जन बरकती का चुनावी अभियान
सर्जन बरकती, जो घाटी में “आजादी चाचा” के नाम से मशहूर हैं, फिलहाल जेल में बंद हैं। उन पर आतंकवादियों के एनकाउंटर और पत्थरबाजी की घटनाओं को भड़काने का आरोप है। सर्जन बरकती के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है, हालांकि जेल में होने के कारण उनकी बेटी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी पर्चा दाखिल करेगी।
सयार अहमद रेशी का चुनावी कदम
पूर्व जमात ए इस्लामी के वरिष्ठ सदस्य सयार अहमद रेशी ने कुलगाम विधानसभा क्षेत्र से अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। जमात ए इस्लामी को अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला संगठन माना जाता है। सयार अहमद रेशी के चुनावी मैदान में उतरने से इस बार के चुनावों में विभिन्न अलगाववादी नेताओं के हिस्से की संभावनाओं को बल मिल सकता है।
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अलगाववादी नेताओं का चुनावी मैदान में उतरना
अब तक अलगाववादी नेता विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी चुनावी तैयारी घाटी की राजनीति में एक बड़े बदलाव को संकेत देती है। खासकर ऐसे नेताओं की मौजूदगी जो पहले लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुनौती देते रहे हैं, अब चुनावी मैदान में उतरकर अपनी किस्मत आजमाने का विचार कर रहे हैं।
इन नेताओं की चुनावी रणनीतियों और उनके समर्थकों की प्रतिक्रियाओं पर चुनावी प्रक्रिया के दौरान निगाहें बनी रहेंगी।