Maharashtra सरकार ने राज्य में देसी गायों को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया है। इस फैसले के बाद से विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे ने कहा, “बचपन से ही हमें सिखाया गया है कि गाय हमारी माता है। हमें सरकार से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। सरकार को विकास के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।”
विपक्ष ने सरकार पर लगाया ‘जुमलेबाजी’ का आरोप
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि “मां जिजाऊ को महाराष्ट्र में राजमाता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने शिवाजी महाराज को जन्म देकर राज्य का गौरव बढ़ाया, लेकिन सरकार ने शब्दों का छल करते हुए गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया है।
वडेट्टीवार ने सरकार पर गोमांस व्यवसायियों से चंदा लेने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा, “जब मराठवाड़ा में सूखा पड़ा था और गायें भूख-प्यास से मर रही थीं, तब यह सरकार कहां थी?”
सरकार का जवाब: ‘किसानों के लिए वरदान है देसी गाय’
Maharashtra: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा, “देसी गाय किसानों के लिए वरदान है, इसलिए इसे ‘राज्यमाता’ का दर्जा देने का निर्णय लिया गया है।” इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार ने देसी गायों के संवर्धन के लिए चारे का इंतजाम करने और सब्सिडी योजना लागू करने का भी फैसला किया है। गोशालाओं में देसी गायों के लिए प्रतिदिन 50 रुपये की सब्सिडी देने का निर्णय कैबिनेट बैठक में मंजूर किया गया है।
देसी गायों का महत्त्व
सरकार के प्रस्ताव में कहा गया है कि वैदिक काल से ही देसी गायों का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान रहा है। इसके दूध, घी, गोमूत्र और गोबर का उपयोग आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।