एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक मौलवी शिक्षक अपने छात्रों को धार्मिक उन्माद फैलाने वाले विचार सिखाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में मौलवी बच्चों को यह सिखा रहे हैं कि अगर वे होली और दीवाली जैसे हिंदू त्योहार मनाएंगे, तो अल्लाह उनसे नाराज हो जाएंगे और शैतान उनसे खुश होगा।
धर्म की आड़ में नफरत फैलाने की कोशिश
वीडियो में मौलवी साफ तौर पर कह रहे हैं कि छात्रों को केवल अल्लाह की इबादत करनी चाहिए और किसी अन्य धर्म के भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने अपने छात्रों को दूसरे धर्म के लोगों से दोस्ती न करने और उनसे नफरत करने की शिक्षा दी। मौलवी ने जोर देकर कहा कि अगर उनके छात्र हिंदू त्योहारों में हिस्सा लेते हैं, तो अल्लाह उन्हें सजा देंगे और इसके बदले शैतान खुश होगा।
क्या ये सही है धार्मिक शिक्षा
इस विवादित बयान ने धार्मिक शिक्षकों की भूमिका और उनके द्वारा दी जा रही शिक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या किसी मौलवी या किसी भी धार्मिक शिक्षक को इस प्रकार के विचार फैलाने का हक है? क्या यह बच्चों के मासूम दिमाग में नफरत और कट्टरता के बीज बोने जैसा नहीं है? एक ओर जहां देश में सभी धर्मों के बीच शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की शिक्षा से समाज में विभाजन और तनाव बढ़ने का खतरा है।
यह वीडियो ट्विटर पर प्रकाशित हुआ है जिसका ट्विटर हैंडल का नाम @Sudanshutrivedi
भाई चारे को चारा कैसे बनाना है ये सिखाता हुआ एक मौलवी ???
— Prof. Sudhanshu (@Sudanshutrivedi) August 14, 2024
अब बताइए मदरसे बंद होने चाहिए या नहीं???????
pic.twitter.com/dIe4eAV2n6
समाज में बढ़ते धार्मिक तनाव
ऐसे बयान और विचार न केवल धार्मिक तनाव को बढ़ाते हैं, बल्कि समाज के भीतर भी दरारें पैदा कर सकते हैं। बच्चों को बचपन से ही ऐसे नफरत भरे विचार सिखाने से वे बड़े होकर कट्टरता और असहिष्णुता के शिकार हो सकते हैं।
समाज में बढ़ते धार्मिक तनाव
धर्म के नाम पर बच्चों के मन में नफरत और असहिष्णुता का जहर घोलना किसी भी समाज के लिए हानिकारक है। ऐसे शिक्षकों और धार्मिक नेताओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और बच्चों को शांति, भाईचारा, और सभी धर्मों का सम्मान करने की शिक्षा देनी चाहिए।