Natwar Singh का निधन, जानें कौन थे नटवर और PM के साथ क्या हुआ था बवाल!

विभोर अग्रवाल

पूर्व विदेश मंत्री Natwar Singh का 95 साल की उम्र में निधन

देश के पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता Natwar Singh का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उन्हें गुरुग्राम के Medanta Hospital में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। नटवर सिंह भारतीय विदेश सेवा (IFS) के पूर्व अधिकारी भी रहे हैं और अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

Natwar Singh का जन्म और शिक्षा

Natwar Singh का जन्म 16 मई 1929 को राजस्थान के भरतपुर जिले के जघीना गांव में एक जाट हिंदू परिवार में हुआ था। वह गोविंद सिंह और उनकी पत्नी प्रयाग कौर के चौथे संतान थे। नटवर सिंह की शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज और ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पेकिंग विश्वविद्यालय में भी विजिटिंग स्कॉलर के रूप में कुछ समय बिताया।

सियासी जीवन और महत्वपूर्ण पद

1984 में आईएफएस सेवा से इस्तीफा देने के बाद नटवर सिंह ने कांग्रेस पार्टी जॉइन की और भरतपुर से लोकसभा का चुनाव जीता। उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया और इस्पात, कोयला, खान और कृषि विभाग की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें उसी साल भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म भूषण, भी प्राप्त हुआ।

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1986 में उन्होंने विदेश मामलों के राज्य मंत्री का पद संभाला और 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष बने। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

1991 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद, नटवर सिंह ने पार्टी के भीतर मतभेद के कारण एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह के साथ नई राजनीतिक पार्टी, अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस का गठन किया। हालांकि, 1998 में सोनिया गांधी के पार्टी पर नियंत्रण लेने के बाद, इस पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया।

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नटवर सिंह ने 1998 के आम चुनावों में भरतपुर से फिर से लोकसभा सीट जीती और 2002 में राज्यसभा के लिए चुने गए। 2004 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें विदेश मंत्री बनाया।

आत्मकथा और विवाद

अगस्त 2014 में प्रकाशित नटवर सिंह की आत्मकथा “वन लाइफ इस नॉट इनफ” ने भारत की सियासत में हलचल मचा दी थी। इस किताब में नटवर सिंह ने 2004 के घटनाक्रम का उल्लेख किया था और सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री बनने की प्रक्रिया पर खुलासा किया था। इसके अलावा, उन्होंने यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी की मंजूरी के बिना कोई निर्णय नहीं होने का भी दावा किया था।

नटवर सिंह के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। उनके योगदान और कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा।

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विभोर अग्रवाल एक अनुभवी और समर्पित पत्रकार हैं, जो सभी प्रकार की खबरों को कवर करते हैं, चाहे वह स्थानीय हों या हाइपरलोकल। उनकी रिपोर्टिंग में सटीकता और विश्वसनीयता की झलक मिलती है। विभोर का मुख्य उद्देश्य हर महत्वपूर्ण समाचार को समझकर उसे अपने दर्शकों तक पहुँचाना है। उनकी मेहनत और निष्पक्षता ने उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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