Nitin Gadkari द्वारा विपक्ष के नेता से प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिलने के खुलासे के बाद देश की राजनीति में हलचल मच गई है। इस पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नितिन गडकरी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सर्वमान्य नेता हैं, लेकिन उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए जोड़-तोड़ करने का सुझाव दिया गया होगा, ऐसा नहीं लगता।
राउत ने कहा, “इस देश में जिस तरह से तानाशाही चल रही है और पिछले दस वर्षों से जैसी स्थिति बनी हुई है, उससे दूरी बनाए रखना जरूरी है। अगर किसी विपक्षी नेता ने गडकरी को इस तानाशाही प्रवृत्ति से दूर रहने की सलाह दी होगी, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
वर्तमान सरकार के भीतर रहते हुए लोकतंत्र, न्यायपालिका और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों से जुड़ना आज के समय में एक राष्ट्रीय अपराध के समान है।” संजय राउत ने आगे कहा, “नितिन गडकरी हमेशा इन मुद्दों पर खुलकर बोलते रहे हैं और अपनी आवाज उठाते रहे हैं।
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अगर कोई विपक्षी नेता, जिनका गडकरी बहुत सम्मान करते हैं, ने उन्हें इस तरह की सलाह दी है, तो इसमें किसी को तकलीफ नहीं होनी चाहिए। इतिहास गवाह है कि 1977 में जगजीवन राम ने कांग्रेस छोड़ दी थी और इंदिरा गांधी की हार हुई थी।”
राउत ने संकेत दिया कि यदि स्वतंत्रता, लोकतंत्र और न्यायपालिका को बचाए रखना है, तो सत्ता में बैठे कुछ लोगों को त्याग करना होगा।