NRDC Global Heat & Cooling Forum 2025: नई दिल्ली में आज दो दिवसीय हीट एवं कूलिंग समाधान पर वैश्विक फोरम (ग्लोबल हीट एंड कूलिंग फोरम) का सफलतापूर्वक समापन हुआ। नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल (एनआरडीसी) ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए), डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (डीएसटी) और वर्ल्ड बैंक ग्रुप के सहयोग से इस फोरम का आयोजन किया।
दो दिनों तक इस कार्यक्रम में समाधान केंद्रित चर्चा हुई। साथ ही साझेदारी के अवसरों पर विचार विमर्श किया गया और और तेजी से सतत कूलिंग समाधान अपनाने की प्रतिबद्धताएं साझा की गईं। फोरम में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के सरकारी अधिकारियों, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों, जलवायु विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों और मीडियाकर्मियों ने हिस्सा लिया, ताकि अत्यधिक गर्मी और सतत कूलिंग से जुड़े मुद्दों का समाधान निकाला जा सके।
फोरम को संबोधित करते हुए अपने मुख्य भाषण में, ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने कहा, “गर्मी सिर्फ जलवायु से जुड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि एक मानवीय संकट है। ऊर्जा दक्ष कूलिंग प्रणाली को बढ़ावा देना और कमजोर समुदायों को प्राथमिकता देना भारत को एक ठंडा, अधिक सतत और सुदृढ़ भविष्य बनाने में मदद करेगा।”
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NRDC Global Heat & Cooling Forum 2025: मंत्री ने नवाचार और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को अपनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बाजरे की खेती, पानी के टैंक और मिट्टी के घर की जरूरत को रेखांकित किया जो ग्रामीण समुदायों को भीषण गर्मी से निपटने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारी नीति निर्माताओं को इन प्रथाओं से सीखते हुए ऐसे समाधान विकसित करने चाहिए जो व्यापक स्तर पर लागू हो सकें और एक समान जलवायु समाधान प्रदान कर सकें।”
भारत की विविध जलवायु परिस्थितियों और अत्यधिक गर्मी के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इस फोरम में तीन प्रमुख रणनीतिक स्तंभों पर चर्चा की गई। ये तीन स्तंभ सतत हीट एवं कूलिंग समाधान का विस्तार, सभी के लिए समान रूप से तापीय आराम (थर्मल कम्फर्ट) सुनिश्चित करना, और लोगों को अत्यधिक गर्मी से बचाना है। भारत और विश्व में बढ़ती गर्मी की घटनाओं और कूलिंग आवश्यकताओं के बीच, यह फोरम नीतियों, प्रौद्योगिकी और वित्तीय सहयोग को एकसाथ लाने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना, ताकि न्यायसंगत और जलवायु-अनुकूल समाधानों को बढ़ावा मिल सके।
कार्यक्रम में अपने विचार प्रकट करते हुए विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम प्रबंधन के प्रैक्टिस मैनेजर, आभास झा ने कहा, “भारत पर गर्मी का बोझ इस दशक में तीन गुना बढ़ जाएगा, यहां तक कि मध्यम गर्मी के परिदृश्य में भी हाल ऐसे ही रहेंगे। साल-दर-साल बढ़ते हीटवेव और तापमान से इसका पता भी चलता है। इसे ठंडक प्राप्त करने की उच्च जलवायु लागत और भी गंभीर बना रही है। भारत की इसपर प्रतिक्रिया इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान और हीट एक्शन प्लान सराहनीय है। हालांकि, अब हमें गर्मी से निपटने के लिए अधिक समान, सक्रिय, रोकथाम आधारित और बहु-क्षेत्रीय समाधानों को प्राथमिकता देना होगा।”

NRDC Global Heat & Cooling Forum 2025: फोरम का केंद्रीय विषय यह सुनिश्चित करना था कि निम्न-आय और हाशिए पर मौजूद समुदायों को सुलभ और प्रभावी कूलिंग समाधान प्राप्त हों। चर्चा के दौरान नीति समन्वय, उद्योग नवाचार और वित्तीय भागीदारी के महत्व को रेखांकित किया गया, ताकि भारत में कूलिंग समाधान व्यापक स्तर पर लागू किए जा सकें। विशेषज्ञों ने अल्पकालिक राहत से आगे बढ़कर दीर्घकालिक स्थायित्व रणनीतियों, समान रूप से कूलिंग तक पहुंच और सतत निवेश की आवश्यकता पर जोर दिया। गर्मी को एक संरचनात्मक विकास चुनौती के रूप में देखते हुए, इसके समाधान के लिए सक्रिय नेतृत्व, सामुदायिक भागीदारी और डेटा-आधारित समाधान जरूरी हैं।
एनआरडीसी के अध्यक्ष एवं सीईओ मनीष बापना ने इन मुद्दों पर सामूहिक रूप से काम करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा, “अत्यधिक गर्मी और सतत कूलिंग के दोहरे, गहरे रूप से जुड़े संकटों का समाधान करने के लिए साहसिक और सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है, जो समानता और विस्तार क्षमता द्वारा मार्गदर्शित हो। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन से प्रभावित सबसे कमजोर समुदायों को समान और सतत कूलिंग समाधान प्राप्त हो। यह फोरम दिखाता है कि सरकारों, उद्योगों और सिविल सोसायटी के बीच सहयोग किस प्रकार प्रणालीगत परिवर्तन ला सकता है, भारत के जलवायु लक्ष्यों को आगे बढ़ाते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और हमारे सबसे कमजोर समुदायों की रक्षा कर सकता है।”
17 मार्च को भारत मंडपम और 18 मार्च को द इम्पीरियल में आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन में अत्यधिक गर्मी और सतत कूलिंग के बारे में चर्चा की गई। इस चर्चा में जलवायु विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें राधिका खोसला, एसोसिएट प्रोफेसर, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, रॉक्सी मैथ्यू कोल, जलवायु वैज्ञानिक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी, जॉय शुमाके-गिलेमोथ, लीड, डब्ल्यूएचओ/ डब्ल्यूएमओ ज्वाइंट ऑफिस फॉर क्लाइमेट एंड हेल्थ, और अमित प्रोथी, महानिदेशक, कोलिएशन फॉर डिजास्टर रेजाइलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल थे। इस सत्र में हीट-कूलिंग पैराडॉक्स पर चर्चा की गई, जहां बढ़ते तापमान के कारण कूलिंग की मांग बढ़ती है । इस सत्र में सरकार की शासन व्यवस्था को मजबूत करने—राष्ट्रीय से लेकर स्थानीय स्तर तक—और बहु-हितधारक साझेदारी को व्यापक और स्थानीय हीट एक्शन योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण बताया गया।
दिन का समापन सौरभ कुमार, उपाध्यक्ष, भारत, ग्लोबल एनर्जी एलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट, डॉ. आकाश श्रीवास्तव, अतिरिक्त निदेशक, नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ, नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल , मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, भारत सरकार, सुजाता सौनिक, मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार, सैंड्रा अकुआ अकपेने अडेयामी फ्रीटास, सीईओ, सस्टेनेबल सॉल्यूशंस फॉर अफ्रीका और गया प्रसाद, उप महानिदेशक (ग्रामीण आवास), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और पर्यावरण अनुकूलता बढ़ाने के लिए नीति समन्वय को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण विचार के साथ हुआ।
NRDC Global Heat & Cooling Forum 2025: फोरम के दूसरे दिन व्यावहारिक समाधानों और वित्तीय तंत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें कूलिंग तक समान पहुंच, पैसिव कूलिंग तकनीकों और प्रकृति-आधारित समाधानों की जांच की गई। प्रो. क्रिस्टी एबी, सेंटर फॉर हेल्थ एंड द ग्लोबल एनवायरनमेंट (चेंज); वॉशिंगटन विश्वविद्यालय, डॉ. रोनिता बरधन, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, मेलानी स्लेड, सीनियर प्रोग्राम मैनेजर, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी, श्रुति एम. देओराह, कार्यकारी निदेशक, इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (आईईसीसी) और गोल्डमैन स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले ने अत्यधिक गर्मी के आर्थिक और स्वास्थ्य प्रभावों पर जोर दिया।
सफी अहसान रिजवी, सलाहकार, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी, आरन पटेल, कार्यकारी निदेशक, जलवायु, द नंद और जीत खेमका फाउंडेशन, दीपक सिंह, लीड डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट, वर्ल्ड बैंक, निधि उपाध्याय, उप निदेशक, ग्लोबल पॉलिसी एंड फाइनेंस, क्लाइमेट रेजिलियन्स सेंटर, एटलांटिक काउंसिल और संदीप जैन, चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, बजाज फाइनेंस लिमिटेड ने हीट रेजिलियंस प्रयासों को समर्थन देने के लिए विस्तार योग्य वित्तीय मॉडलों को रेखांकित किया, जिसमें ग्लोबल साउथ में सफल फंडिंग तंत्रों के केस स्टडीज़ दिखाए गए। यह सत्र डैनियल पी. श्राग, प्रोफेसर, हार्वर्ड डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ के विचारों के साथ समाप्त हुआ, जिन्होंने प्रभावी संचार और कहानी कहने की आवश्यकता को मजबूत किया, और समुदाय की भागीदारी और जलवायु समाधानों में निरंतर निवेश की अहमियत को रेखांकित किया।
एनआरडीसी, एनडीएमए, डीएसटी और विश्व बैंक राष्ट्रीय और राज्य स्तर के हितधारकों के साथ एक फॉलो-अप परामर्श पर काम करेंगे, ताकि अत्यधिक हीट एवं कूलिंग की दोहरी चुनौतियों के लिए समेकित समाधानों के विकास और कार्यान्वयन में सलाह और समर्थन प्रदान किया जा सके, जो मार्च 2025 के ग्लोबल हीट एंड कूलिंग फोरम से उत्पन्न विचारों पर आधारित होंगे।
एनआरडीसी के बारे में
NRDC Global Heat & Cooling Forum 2025: एनआरडीसी (नेचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी पर्यावरण संगठन है, जिसके 3 मिलियन से अधिक सदस्य और ऑनलाइन कार्यकर्ता हैं। 1970 से, हमारे वकील, वैज्ञानिक और अन्य पर्यावरण विशेषज्ञ दुनिया के प्राकृतिक संसाधनों, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए काम कर रहे हैं। एनआरडीसी का भारत में 2009 में जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा को लेकर कार्यक्रम शुरू हुआ और 2022 में यह एक स्वतंत्र संगठन के रूप में पंजीकरण हुआ। यह स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर एक निम्न-कार्बन, सतत अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करता है।
ग्लोबल हीट एवं कूलिंग फोरम के बारे में
ग्लोबल हीट एंड कूलिंग फोरम का उद्देश्य सरकार, उद्योग, अकादमिक जगत और गैर-सरकारी संगठनों के प्रमुख हितधारकों को एकत्र करना है, ताकि वे अत्यधिक गर्मी से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतत कूलिंग समाधानों के माध्यम से वैश्विक चुनौती का समाधान करने के लिए व्यावहारिक रणनीतियों पर विचार कर सकें।