QNET Case: बेंगलुरु कोर्ट ने मानहानिपूर्ण लेख हटाने का दिया आदेश

QNET Case: सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने Vihaan Direct Selling (India) Pvt. Ltd., जो QNET की भारत में सब-फ्रैंचाइज़ी है, के खिलाफ फर्जी और भ्रामक रिपोर्टिंग करने पर Organiser.org को मानहानिपूर्ण लेख हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक कोई और गलत सूचना ना फैलाई जाए।

कोर्ट का आदेश और मामला

QNET Case: 26 दिसंबर 2024 को Organiser.org ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें Vihaan Direct Selling की एनसीएलटी (National Company Law Tribunal) केस से जुड़ी गलत व्याख्या की गई थी। इस रिपोर्ट में कंपनी के दिवालिया होने और गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगाए गए थे।

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हालांकि, कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि Vihaan Direct Selling पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। रिपोर्ट में जिस एनसीएलटी मामले का हवाला दिया गया था, वह सितंबर 2024 में वापस ले लिया गया था, और किसी भी पक्ष ने आपत्ति नहीं जताई थी।

QNET Case: Vihaan और QNET की कानूनी स्थिति

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QNET Case: Vihaan Direct Selling ने दावा किया कि वह भारतीय कानूनों के तहत पूरी तरह से वैध रूप से संचालित हो रही है और Ministry of Consumer Affairs के दिशानिर्देशों का पालन कर रही है।

इसके अलावा, कंपनी ने कहा कि उसके स्वतंत्र वितरकों (Independent Representatives) की आय केवल उत्पादों की बिक्री पर आधारित होती है, जो इसे एक पारदर्शी और कानूनी डायरेक्ट सेलिंग बिजनेस मॉडल बनाता है।

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QNET Case: सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला

QNET और Vihaan के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप कानूनी रूप से आधारहीन हैं।

मार्च 2017 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने Vihaan पर दर्ज सभी एफआईआर पर स्टे लगाया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी 2017 में यह फैसला दिया था कि Vihaan का बिजनेस मॉडल “Prize Chits and Money Circulation Banning Act” के दायरे में नहीं आता है।

QNET Case की प्रतिक्रिया

QNET ने इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि वह एक ईमानदार और पारदर्शी डायरेक्ट सेलिंग मॉडल के जरिए उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने मीडिया से तथ्यों की पुष्टि करने के बाद ही रिपोर्टिंग करने की अपील की।

निष्कर्ष

QNET Case: बेंगलुरु कोर्ट का यह फैसला QNET और Vihaan के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत है, जो गलत सूचना फैलाने वाले मीडिया संस्थानों को एक स्पष्ट संदेश देता है। यह आदेश यह भी दर्शाता है कि भारत में डायरेक्ट सेलिंग इंडस्ट्री को कानूनी रूप से संरक्षित किया गया है, और किसी भी भ्रामक या फर्जी रिपोर्टिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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