Indian Country: देश में वक्फ संशोधन बिल को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच एक अनोखी वर्चुअल जंग चल रही है। यह जंग QR कोड के जरिए लड़ी जा रही है, जहां हिंदू संगठन वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में QR कोड स्कैन करने की अपील कर रहे हैं, वहीं मुस्लिम संगठन इसके खिलाफ अपना QR कोड प्रचारित कर रहे हैं। अब यह जंग QR कोड से बढ़कर ईमेल तक पहुंच गई है।
बीजेपी का समर्थन अभियान
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर अपने सांसदों को जुटा लिया है। हर सांसद को कम से कम 1000 ईमेल करवाने का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें वक्फ संशोधन बिल के फायदे गिनाए जाएंगे। इन सभी ईमेल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की ईमेल आईडी पर भेजा जाना है। बीजेपी ने कुल 3 लाख 36 हजार से ज्यादा ईमेल करवाने का लक्ष्य रखा है, ताकि वक्फ संशोधन बिल के समर्थन में माहौल बनाया जा सके।
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वक्फ संशोधन बिल पर जनता की राय
Local Circle नामक संस्था ने एक सर्वे किया जिसमें वक्फ संशोधन बिल पर आम जनता की राय ली गई। इस सर्वे में 388 जिलों के 47,000 लोगों ने हिस्सा लिया और 91 प्रतिशत लोगों ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया। इसके अलावा, 93 प्रतिशत लोगों का मानना था कि वक्फ से जुड़े विवादों का समाधान न्यायालयों द्वारा होना चाहिए, न कि वक्फ ट्राइब्यूनल के जरिए। वहीं, 96 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण जिलाधिकारियों के पास होना चाहिए।
वक्फ और पुरातत्व विभाग के बीच विवाद
वक्फ संशोधन बिल की आवश्यकता को समझने के लिए वक्फ बोर्ड और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के बीच चल रहे विवाद को देख सकते हैं। ASI ने 53 ऐतिहासिक इमारतों की सूची जारी की है, जिन पर वक्फ बोर्ड अपना दावा कर रहा है। इन इमारतों का संरक्षण ASI करता है, लेकिन वक्फ बोर्ड इन्हें अपनी संपत्ति बताता है। इनमें औरंगजेब का मकबरा, आगरा की जामा मस्जिद, कर्नाटक का बीदर किला और औरंगाबाद का दौलताबाद किला शामिल हैं।
मुस्लिम धर्मगुरुओं का विरोध
Indian Country: वक्फ संशोधन बिल पर मुस्लिम धर्मगुरु, खासतौर पर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष साजिद रसीदी, इसे लेकर नाराज हैं। उनका मानना है कि अगर वक्फ बिल में संशोधन हुआ, तो ASI संरक्षित इमारतें वक्फ संपत्ति नहीं रहेंगी। इसके चलते मुस्लिम धर्मगुरु बिल का विरोध कर रहे हैं और इसे लेकर सरकार को धमकी भी दे रहे हैं।