नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पतंजलि आयुर्वेद के ‘दिव्य दंत मंजन’ को शाकाहारी ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। यह याचिका वकील यतिन शर्मा द्वारा दायर की गई, जिसमें दावा किया गया है कि इस दंत मंजन के पैकेजिंग पर हरा ‘डॉट’ अंकित है, जो इसे शाकाहारी उत्पाद के रूप में प्रस्तुत करता है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि यह उत्पाद वास्तव में मांसाहारी तत्वों से बना है, जिसमें मछली का अर्क (समुद्र फेन) शामिल है।
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अदालत ने संबंधित पक्षों को भेजा नोटिस
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई), पतंजलि आयुर्वेद, दिव्य फार्मेसी, योग गुरु Ramdev और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने इन सभी पक्षों से जवाब मांगा है कि क्यों न इस उत्पाद को शाकाहारी के रूप में गलत तरीके से पेश करने के आरोप पर कार्रवाई की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता स्वप्निल चौधरी और प्रशांत गुप्ता ने अदालत में दलील दी कि ‘दिव्य दंत मंजन’ में समुद्र फेन (सीपिया ऑफिसिनेलिस) नामक घटक है, जो मछली के अर्क से प्राप्त होता है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि यह उनके और उनके परिवार के लिए अत्यंत दुखद है, जो धार्मिक विश्वास और आस्था के कारण केवल शाकाहारी उत्पादों का उपयोग करते हैं। याचिका में कहा गया है कि कानून में किसी दवा को शाकाहारी या मांसाहारी घोषित करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन इस उत्पाद की पैकेजिंग पर हरा ‘डॉट’ अंकित किया गया है, जो औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत गलत ‘ब्रांडिंग’ के रूप में आता है।
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यह मामला अब उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, जहां से संबंधित पक्षों से जवाब प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इस विवाद ने धार्मिक विश्वासों और उपभोक्ता अधिकारों को लेकर महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं, जिनका समाधान अदालत के निर्णय पर निर्भर करेगा।
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