यदि आपने हाल ही में नई गाड़ी खरीदी है या खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको Return to Invoice (RTI) पॉलिसी के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। अधिकतर लोग कार इंश्योरेंस तो खरीद लेते हैं, लेकिन इसके विभिन्न पेच और शर्तों को नहीं समझते, जिससे क्लेम के समय उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
खासकर अगर गाड़ी चोरी हो जाती है या आग लग जाती है, तो IDV (Insured Declared Value) के आधार पर मिलने वाले भुगतान और ऑन-रोड कीमत के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
Return to Invoice पॉलिसी से कैसे पाएं गाड़ी की पूरी ऑन-रोड कीमत?
Return to Invoice पॉलिसी के तहत अगर आपकी गाड़ी चोरी होती है या आग लगती है, तो इंश्योरेंस कंपनी आपको गाड़ी की पूरी ऑन-रोड कीमत देती है, जो आप गाड़ी खरीदते वक्त चुकाते हैं। इसके लिए कार मालिक को RTI एड-ऑन पॉलिसी खरीदनी पड़ती है। इंश्योरेंस एक्सपर्ट संतोष सहानी के अनुसार, यह पॉलिसी कार मालिक को उस स्थिति में अधिक सुरक्षा प्रदान करती है जब उनकी गाड़ी को गंभीर नुकसान होता है।
RTI पॉलिसी का लाभ तभी मिलता है जब गाड़ी चोरी होने के 180 दिनों तक नहीं मिलती और इसे टोटल लॉस घोषित कर दिया जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां केवल एक्स-शोरूम कीमत देती हैं, जबकि प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां आरटीओ और अन्य खर्चों को जोड़कर ऑन-रोड कीमत देती हैं।
हालांकि, यदि गाड़ी में लोकल पार्ट्स का इस्तेमाल होता है और उसकी वजह से नुकसान होता है, तो RTI पॉलिसी होने पर भी क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है।