केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) सहारा समूह की कंपनियों से संबंधित मामले की विस्तृत जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। सीतारमण ने यह भी बताया कि सहारा की कंपनियों में 3.07 करोड़ निवेशक हैं जिन्होंने कुल 27,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। अब तक केवल 19,650 निवेशकों ने रिफंड के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 17,250 दावों का निपटारा कर दिया गया है। अभी तक 138.07 करोड़ रुपये दावेदारों को रिफंड किए जा चुके हैं।
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सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कार्यवाही
सीतारमण ने बताया कि सहारा समूह के मामलों की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है और सरकार शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुसार काम कर रही है। प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने कहा कि यह सच है कि केवल छोटे निवेशक ही रिफंड का दावा करने के लिए आगे आए हैं। एसएफआईओ पूरे मामले की जांच कर रहा है और यह भी देख रहा है कि सभी निवेशक रिफंड का दावा करने के लिए आगे क्यों नहीं आए और वे कहां हैं। मंत्री ने कहा कि एसएफआईओ के विस्तृत विश्लेषण के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी और आगे की कार्रवाई की जा सकेगी।
रिफंड प्रक्रिया और आगे की चुनौतियां
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार चाहकर भी सहारा समूह की कंपनियों के मामले में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती, क्योंकि हर चीज पर सुप्रीम कोर्ट की नजर है। सरकार लगातार सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट कर रही है। सीतारमण के मुताबिक, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि निवेशकों को न्याय मिले और उनके पैसे वापस मिलें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन कर रही है और एसएफआईओ की जांच पूरी होने के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी।
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निवेशकों की चिंताएं और एसएफआईओ की भूमिका
सहारा समूह के निवेशकों की चिंताओं को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि एसएफआईओ की जांच पूरी हो और सभी तथ्य सामने आएं। यह देखना महत्वपूर्ण है कि निवेशक रिफंड के लिए आगे क्यों नहीं आ रहे हैं और वे कहां हैं। इस मामले में सरकार की भूमिका सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार काम करना है, ताकि निवेशकों को न्याय मिल सके।
सहारा समूह के इस मामले में निवेशकों की एक बड़ी संख्या शामिल है और उनके निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और न्यायिक प्रणाली की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब यह देखना है कि एसएफआईओ की जांच के बाद आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और निवेशकों को उनके पैसे कब तक वापस मिलेंगे।
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