Shardiya Navratri 2024: शुरुआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है। पहले नवरात्रि पर मां शैलपुत्री की पूजा करने के बाद, दूसरे दिन यानी 4 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की वृद्धि होती है।
पूजा विधि
- स्नान और वस्त्र:
- शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- पूजन सामग्री:
- मां को फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि चीजें अर्पित करें।
- आरती और मंत्र:
- धूप-दीप जलाकर भक्ति भाव से मां के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
- भोगस्वरूप पंचामृत चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं।
मंत्र
- प्रमुख मंत्र:
“या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।” - अन्य मंत्र:
“दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।”
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या गुड़ का भोग लगाना शुभ माना जाता है। आप चीनी या गुड़ से बनी चीजों का भोग भी अर्पित कर सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
“जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।”
निष्कर्ष
इस नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और भोग को ध्यान में रखकर पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में तप और संयम की वृद्धि करें।