हाल ही में Supreme Court के आदेश के बाद, अतुल और प्रिंस जैसे छात्र आईआईटी में अपना बीटेक जारी रख पाए हैं। ये दोनों छात्र फीस जमा करने में असमर्थ रहे थे, जिसके कारण उनके एडमिशन रद्द कर दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से अब उन्हें आईआईटी में दाखिला प्राप्त हुआ है।
अतुल की कहानी: यूपी के मुजफ्फरनगर से आईआईटी धनबाद तक
18 वर्षीय अतुल, जो यूपी के मुजफ्फरनगर के टोटोरा गांव से हैं, उनके पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं। अतुल ने जेईई परीक्षा पास की और काउंसलिंग के माध्यम से आईआईटी धनबाद में सीट प्राप्त की थी। एडमिशन के लिए उन्हें 17,500 रुपए फीस जमा करनी थी, जिसे समय पर नहीं जमा कर पाने के कारण उनका एडमिशन रद्द कर दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने आईआईटी धनबाद को आदेश दिया कि अतुल का दाखिला सुनिश्चित किया जाए। अब अतुल आईआईटी धनबाद से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेंगे।
प्रिंस सिंह जयवीर की कहानी: आईआईटी बॉम्बे में दाखिला सुप्रीम कोर्ट के बाद
Supreme Court: 2021 में, प्रिंस सिंह जयवीर ने भी जेईई एडवांस की परीक्षा पास की थी और मेरिट के अनुसार उन्हें आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिलना था। लेकिन फीस समय पर नहीं जमा कर पाने के कारण उनका एडमिशन रद्द हो गया था। इसके बाद, प्रिंस ने सुप्रीम कोर्ट में अपना मामला दर्ज कराया।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की बेंच ने प्रिंस के पक्ष में फैसला सुनाया और आईआईटी बॉम्बे को दाखिला देने का निर्देश दिया। हालांकि, कोर्ट में पेश ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) ने बताया कि अब किसी भी आईआईटी में सीट उपलब्ध नहीं है, लेकिन कोर्ट ने प्रिंस के हक में निर्णय दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से छात्रों को मिली राहत
अतुल और प्रिंस जैसे छात्रों ने अपने एडमिशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया और कोर्ट के आदेश से उन्हें आईआईटी में प्रवेश मिला। इन मामलों ने यह साबित कर दिया है कि न्यायालय छात्रों के हक में कदम उठा रहा है, जिससे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करने वाले छात्र भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।