Tirupati Balaji Prasad: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने प्रसाद को लेकर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा, “प्रसाद तब होता है जब भगवान को चढ़ा दिया जाता है, उससे पहले वह सिर्फ मिठाई होती है। भगवान-भक्त का हवाला देकर विवाद न खड़ा करें, भगवान को विवाद से दूर रखें।”
याचिकाकर्ताओं की मांग और कोर्ट की टिप्पणी
यह मामला तब चर्चा में आया जब याचिकाकर्ताओं ने तिरुपति बालाजी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोपों की जांच की मांग की। इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच द्वारा की जा रही है। याचिकाकर्ता, जिसमें प्रमुख रूप से सुब्रमण्यम स्वामी शामिल हैं, ने कोर्ट की निगरानी में इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
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स्वामी के वकील की दलील
स्वामी के वकील ने अपनी दलील में कहा कि भगवान के प्रसाद पर सवालिया निशान लगने के बाद इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या उस घी का सही सैंपल लिया गया था और क्या वास्तव में प्रसाद में मिलावट की गई थी। उन्होंने कहा, “अगर प्रसाद के बारे में कोई शंका है, तो इसका निपटारा होना चाहिए और किसी को इस बयान के नतीजे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”
सांप्रदायिक सौहार्द पर खतरे की बात
वकील राजशेखर राव ने इस मामले पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह विवाद सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है और ऐसे विवादों को सार्वजनिक डोमेन में लाने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “प्रसाद जैसे धार्मिक मुद्दों को लेकर गलतफहमी फैल सकती है, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंच सकता है।”
टीटीडी का पक्ष
Tirupati Balaji Prasad: देवस्थानम (टीटीडी) के अधिकारियों ने कोर्ट में कहा कि प्रसाद में उपयोग होने वाले घी को लेकर उठाए गए सवालों का कोई आधार नहीं है। उनका कहना है कि उस घी का 100% उपयोग नहीं किया गया था और वह वापस लौटा दिया गया था।