Vivek Menon, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सह-संस्थापक, ने हाथियों के संरक्षण के लिए अपनी ज़िंदगी समर्पित कर दी है। उनके इस सफर की शुरुआत बचपन में हुई, जब उन्होंने पहली बार जंगल की खूबसूरती और वन्यजीवों की ताकत को करीब से देखा। उनका यह सफर तब और गहरा हो गया, जब एक युवा के रूप में वह उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में हाथियों के साथ बिताए एक रोमांचक पल से प्रभावित हुए।
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Vivek Menon:101 हाथी कॉरिडोर की योजना
Vivek Menonने न केवल हाथियों के संरक्षण के लिए काम किया, बल्कि अवैध शिकार रोकने, वन्यजीवों के व्यापार पर नजर रखने, और हाथियों के लिए सुरक्षित रास्ते (कॉरिडोर) बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके नेतृत्व में, वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने 101 हाथी कॉरिडोर की पहचान की, जो 11 राज्यों में फैले हैं। इन कॉरिडोर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हाथियों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित आवागमन का अधिकार मिले।
अन्य महत्वपूर्ण योगदान
हाथी कॉरिडोर के अलावा, Vivek Menon ने भारतीय वन्यजीवन संरक्षण के अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बाघों, गैंडों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उनकी नेतृत्व क्षमता और वन्यजीवन संरक्षण के प्रति समर्पण ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई है।
विवेक मेनन को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनकी पुस्तकें और लेख भी वन्यजीवन संरक्षण के क्षेत्र में मार्गदर्शन के रूप में माने जाते हैं।
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आज, Vivek Menon हाथियों के लिए एक मसीहा के रूप में जाने जाते हैं। उनका मानना है कि हाथियों को सुरक्षित रास्ते देना ही उनके और मानवों के बीच संघर्ष को कम करने का सही तरीका है। उनकी यह यात्रा हमें सिखाती है कि यदि इच्छाशक्ति हो, तो बड़े से बड़े बदलाव संभव हैं।
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