जब पूरा देश 15 अगस्त 1947 को Independence Day का जश्न मना रहा था, उस समय पश्चिम बंगाल के नदिया और मालदा जिलों में खुशी के बजाय निराशा का माहौल था। इन जिलों को भारत का हिस्सा नहीं माना गया था, और यह गलती एक बड़े विवाद का कारण बनी। हालांकि, 18 अगस्त 1947 को इन जिलों को आधिकारिक रूप से भारत में शामिल किया गया, और तब से यहां के लोग 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं।
आजादी की घोषणा और गलत नक्शे की वजह से पैदा हुआ विवाद
जुलाई 1945 में ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में विंस्टन चर्चिल की हार के बाद, क्लेमेंट एटली प्रधानमंत्री बने। फरवरी 1947 में एटली ने घोषणा की कि भारत को 30 जून 1948 से पहले आजादी दी जाएगी। इस योजना के तहत लॉर्ड माउंटबेटन को भारत की आजादी की योजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया, जिसे माउंटबेटन योजना के नाम से जाना जाता है। इसके तहत भारत को दो हिस्सों में बांट दिया गया—भारत और पाकिस्तान।
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इस विभाजन के लिए अंग्रेज अधिकारी सिरिल रेडक्लिफ को सीमांकन और नक्शा तैयार करने का काम सौंपा गया। रेडक्लिफ ने नक्शा तो बना दिया, लेकिन उसमें बड़ी चूक हो गई। उनके द्वारा तैयार नक्शे में पश्चिम बंगाल के हिंदू बहुल जिले मालदा और नदिया को पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का हिस्सा दिखाया गया।
विरोध प्रदर्शन और दूसरा आदेश
15 अगस्त 1947 को जब देशभर में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, नदिया और मालदा के लोग इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी और नदिया के शाही परिवार ने इस मामले को अंग्रेज प्रशासन के सामने उठाया। लॉर्ड माउंटबेटन को जब इस चूक की जानकारी दी गई, तो उन्होंने तुरंत नया आदेश जारी किया।
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17 अगस्त की रात में नई सीमाओं का निर्धारण किया गया, जिसमें नदिया और मालदा के हिंदू बहुल इलाकों को भारत का हिस्सा बनाया गया। इस नए सीमांकन के बाद, 18 अगस्त को इन जिलों को आधिकारिक रूप से भारत में शामिल किया गया। तब से इन जिलों में 15 अगस्त के बजाय 18 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाता है।
आजादी के दो दिन: 15 और 18 अगस्त
हालांकि अब नदिया और मालदा के लोग 15 अगस्त को भी तिरंगा फहराते हैं, लेकिन 18 अगस्त का दिन उनके लिए विशेष मायने रखता है। इस दिन को यहां के लोग अपने अधिकार और पहचान के प्रतीक के रूप में मनाते हैं, जिस दिन उन्हें वास्तव में आजादी मिली थी।
यह कहानी भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो उन अनदेखे पहलुओं को उजागर करती है, जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है।
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