Haryana Chunaav: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य की सियासी हलचलें बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ जहां दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर चुनावी मैदान में हलचल मचा दी है, वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कुर्सी पर उनकी ही पार्टी के नेता नजर गड़ाए बैठे हैं।
हरियाणा बीजेपी में टिकटों को लेकर पहले ही भारी खींचतान चल रही थी, और अब मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर नए सिरे से होड़ मची हुई है। इसी कड़ी में हरियाणा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी दावेदारी ठोक दी है, जिससे चुनावी माहौल और गरम हो गया है।
अनिल विज का दावा
अनिल विज, जो छह बार विधायक रह चुके हैं और हरियाणा की राजनीति में एक मजबूत कद रखते हैं, ने पहली बार खुलकर मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है।
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अनिल विज का बयान
“आज तक मैंने अपनी पार्टी से कुछ नहीं माँगा, मगर अब मैं मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मांगता हूँ। अगर मुझे मौका मिलता है, तो मैं हरियाणा की तस्वीर और तकदीर बदल दूंगा।”
विज का यह दावा तब सामने आया है, जब उन्हें मौजूदा सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी, और अब उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री पद पर नजरें जमा ली हैं।
पहले भी उठी हैं दावेदारियां
अनिल विज अकेले नहीं हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी जता चुके हैं।
राव इंद्रजीत सिंह का बयान
“यहां की जनता चाहती है कि मैं मुख्यमंत्री बनूं। अगर जनता ने बीजेपी का साथ न दिया होता, तो मनोहर लाल खट्टर दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री न बनते।”
अमित शाह की साफ बात
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तीन महीने पहले ही साफ कर चुके हैं कि बीजेपी हरियाणा का चुनाव नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में ही लड़ेगी। शाह ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि बीजेपी हरियाणा में किसी की बैसाखी पर नहीं चलेगी और नायब सैनी ही मुख्यमंत्री के चेहरे होंगे।
क्यों मच रहा है हरियाणा बीजेपी में बवाल?
जब अमित शाह पहले ही नायब सैनी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में घोषित कर चुके हैं, तो फिर हरियाणा बीजेपी में लगातार दावेदारियां क्यों सामने आ रही हैं? अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह जैसे कद्दावर नेता क्यों मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं?
इस सवाल का जवाब हरियाणा बीजेपी की अंदरूनी सियासत में छिपा है। पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर बढ़ती खींचतान और चुनावी गणित के बीच, यह लड़ाई अब पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।