Yoga: रीढ़ की हड्डी की गंभीर चोट का इलाज योग के सहारे तेजी से हो सकता है। योग की मदद से उन अंगों में भी सुधार देखने को मिलता है, जिनके बारे में डॉक्टर अक्सर संदेह में रहते हैं। स्पाइन सर्जन के शोध यह दिखाते हैं कि योग की सहायता से वे अंग भी काम करने लगते हैं जिनके ठीक होने की उम्मीद कम होती है।
गंभीर चोट और योग का असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्पाइनल कोड और मस्तिष्क में चोट के कारण सेल्स (कोशिकाएं) प्रभावित हो जाती हैं, तो उन्हें पुनर्जीवित करना मुश्किल होता है। इसके परिणामस्वरूप संबंधित अंग काम करना बंद कर सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में देखा गया है कि गंभीर चोट के बाद अगर मरीज इलाज के साथ-साथ योग को भी अपनाता है, तो रिकवरी के परिणाम बेहतर होते हैं।
वास्तविक उदाहरण: योग से कैसे मिली रिकवरी
Yoga: स्पाइन सर्जन डॉ. एचएस छाबड़ा ने एक ऐसे मरीज का उदाहरण दिया जो 24 जुलाई 2022 को लद्दाख में ट्रैकिंग के दौरान पैराग्लाइडिंग करते हुए दुर्घटना का शिकार हुआ। 29 वर्षीय फैबियन लेंट्सच को 27 जुलाई को दिल्ली एयरलिफ्ट किया गया और उसी रात उनकी सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद सुधार की उम्मीद कम थी, क्योंकि उनके पीठ के मध्य में एक कशेरुका (वर्टिब्रा) फट गई थी, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी दब गई थी।
लेकिन सर्जरी के साथ योग को शामिल करने के बाद दो साल के भीतर फैबियन बैसाखी के सहारे चलने लगे और तैराकी के लिए गोताखोरी भी करने लगे। डॉ. छाबड़ा का कहना है कि डॉक्टरों की देखरेख में उचित योगाभ्यास करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
स्पाइन सर्जरी के समय का महत्व
Yoga: डॉक्टरों का मानना है कि स्पाइन में चोट लगने पर 48 घंटे के अंदर सर्जरी करना बेहद जरूरी होता है। समय पर सर्जरी से कोशिकाओं को बचाया जा सकता है और रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. छाबड़ा के अनुसार, जैसे-जैसे चोट कमर के ऊपरी हिस्से की ओर बढ़ती है, उसकी गंभीरता भी बढ़ जाती है, इसलिए समय पर उपचार अत्यंत आवश्यक है।