Jharkhand: ‘रांची’ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा रांची के एसएसपी चंदन सिन्हा पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाने के बाद, रांची पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें निराधार बताया है। यह विवाद उस समय उत्पन्न हुआ जब बीजेपी की युवा आक्रोश रैली के दौरान पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई थी।
Jharkhand: रांची पुलिस ने जारी बयान में कहा है कि बाबूलाल मरांडी द्वारा लगाए गए सभी आरोप तथ्यहीन हैं और पुलिस ने अपने सभी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन किया है। पुलिस का कहना है कि यदि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध वीडियो फुटेज का निष्पक्ष अवलोकन किया जाए, तो यह स्पष्ट होगा कि पुलिस ने विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए संयमित बल प्रयोग किया है।
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पुलिस अधिकारियों द्वारा बार-बार बीजेपी कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया गया था कि वे पत्थर न चलाएं, बैरिकेड न तोड़ें और अपना प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से करें। पुलिस ने यह भी बताया कि सांसदों और विधायकों से भी कार्यकर्ताओं को रोकने का आग्रह किया गया था, लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंके गए और बैरिकेडिंग तोड़ने का प्रयास जारी रहा, जिससे कुछ पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं।
रांची पुलिस ने स्पष्ट किया कि एसएसपी चंदन सिन्हा द्वारा दिया गया बयान संदर्भित स्थिति में मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में था, जिसमें भारत माता की जय के नारे लगाते हुए कार्यकर्ताओं द्वारा पत्थर फेंकने का जिक्र किया गया था। इसे आपत्तिजनक नहीं माना जाना चाहिए।
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पुलिस ने यह भी कहा कि एसएसपी चंदन सिन्हा, जब 2017-18 में सरायकेला-खरसावां में एसपी के रूप में तैनात थे, तब उन्होंने झामुमो के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी, जिन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में व्यवधान डालने की कोशिश की थी। उस समय भी उन्होंने झामुमो जिलाध्यक्ष को हिरासत में लिया था और प्राथमिकी दर्ज की थी।
Jharkhand: रांची पुलिस ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद एक उच्चस्तरीय संवैधानिक पद है, जिसकी सुरक्षा के लिए पुलिस को सख्ती से काम करना पड़ता है। पुलिस ने आरोपों को निराधार बताते हुए स्पष्ट किया कि एसएसपी चंदन सिन्हा ने अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह पालन किया है।
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