Punjab News: फाजिल्का में Border Security Force (BSF) ने भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास संदिग्ध परिस्थितियों में पाए गए एक व्यक्ति को उसके परिवार को सौंप दिया है। 11 जुलाई को BSF जवानों ने मोहम्मद साजिद अली (42), पुत्र आलमदीन, निवासी ग्राम खुरगान, पुलिस थाना कैराना, जिला शामली (यूपी) को BOP खानपुर के पास भारतीय सीमा के अंदर संदिग्ध हालातों में पाया। BSF ने उसे काबू कर लिया था।
मोहम्मद साजिद अली का परिचय
Punjab News: फाजिल्का में बीएसएफ ने सीमा पर पकड़े गए व्यक्ति को परिवार को सौंपा मोहम्मद साजिद अली उत्तर प्रदेश से मजदूरों के एक समूह के साथ धान की रोपाई के लिए पंजाब आया था। पूछताछ के दौरान यह पता चला कि वह मानसिक रूप से कमजोर है और सीमा क्षेत्र की ओर भटक गया था, सोचते हुए कि वह किसी गांव या शहर की ओर जा रहा है।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
BSF की सतर्कता और संपर्क
BSF Caught Person की स्थिति जानने के बाद, BSF ने शामली, उत्तर प्रदेश के स्थानीय पुलिस स्टेशन, पुलिस थाना कैराना से संपर्क किया। पकड़े गए व्यक्ति की पहचान की पुष्टि करने के लिए ग्राम खुरगान के सरपंच से संपर्क किया गया। सरपंच ने पुष्टि की कि मोहम्मद साजिद अली आंशिक रूप से मानसिक रूप से कमजोर है और पिछले तीन महीनों से अपने घर से गायब था। इसके बाद, BSF ने उसके भाई माजिद अली से संपर्क किया और उसे अपने भाई को वापस लाने के लिए पुलिस स्टेशन खुई खेड़ा आने को कहा।
परिवार को सौंपना
आज BSF ने पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में पुलिस स्टेशन खुई खेड़ा में मोहम्मद साजिद अली को उसके भाई माजिद अली को सौंप दिया। इस घटना ने BSF की सतर्कता और मानवता की भावना को दर्शाया है, जो सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ लोगों की देखभाल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इस घटना का महत्व
यह घटना BSF की तत्परता और संवेदनशीलता को दिखाती है। Fazilka Border Incident से यह स्पष्ट होता है कि सीमा सुरक्षा बल न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करता है बल्कि मानवीय मूल्यों को भी बनाए रखता है। मोहम्मद साजिद अली जैसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें उनके परिवार तक पहुंचाना BSF की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा
यह घटना मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता के महत्व को भी उजागर करती है। Mentally Unstable Person के बिना, ऐसे व्यक्तियों को सही सहायता और सुरक्षा प्रदान करना कठिन हो सकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़े और ऐसे लोगों के लिए समर्थन प्रणाली को मजबूत किया जाए।