Rajasthan: सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क में हाल ही में एक गंभीर घटना सामने आई है, जिसने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 15 अगस्त की शाम, जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तब इस प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान के भीतर लग्जरी गाड़ियों का एक समूह अवैध रूप से प्रवेश कर गया। इन गाड़ियों में स्कॉर्पियो और थार जैसे महंगे वाहन शामिल थे, जो पार्क के जॉन नंबर 8 में सफारी करते हुए देखे गए।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि ये गाड़ियां जंगल में घूम रही हैं और कुछ लोग इनसे उतरकर जंगल में टहल रहे हैं। यह बेहद खतरनाक हो सकता था क्योंकि यह इलाका टाइगर के मूवमेंट के लिए जाना जाता है। ऐसे में, वन्य जीवों और विशेष रूप से बाघों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगा था।
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रणथंभौर नेशनल पार्क के नियमों के अनुसार, केवल अनुबंधित वाहनों को ही पार्क में प्रवेश की अनुमति होती है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर इन लग्जरी गाड़ियों को वन विभाग की अनुमति के बिना जंगल के भीतर प्रवेश कैसे मिला? पार्क में पहले से ही सर्विलांस सिस्टम और एंटी-पोचिंग सिस्टम जैसी सुरक्षा व्यवस्थाएं मौजूद हैं, जो हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। फिर भी, ये गाड़ियां अंदर कैसे गईं, यह जांच का विषय है।
वन विभाग के अधिकारी इस घटना पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि बिना विभागीय मिलीभगत के ऐसी घटना होना संभव नहीं है। इस घटना ने न सिर्फ वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि किस तरह से भ्रष्टाचार और मिलीभगत के कारण जंगल और वन्य जीवों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
इस मामले की पूरी जांच की मांग की जा रही है, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जा सके। वन्य जीव प्रेमी और पर्यावरण कार्यकर्ता इस घटना से नाराज हैं और उन्होंने इस मामले की गहन जांच की मांग की है।
रणथंभौर नेशनल पार्क जैसी जगह, जो देशभर में वन्यजीव संरक्षण का प्रतीक मानी जाती है, वहां इस तरह की घटना का होना बेहद चिंताजनक है। इसने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हमारी वन्यजीव सुरक्षा प्रणाली सच में प्रभावी है, या फिर इसमें भी सुधार की जरूरत है।