Rajasthan News: अलवर में Jagannath Mela और Muharram Tazia का संगम देखने को मिला, जहां सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया गया। मोहर्रम के ताजियों को मंगलवार की रात में ही निकाल लिया गया, ताकि बुधवार सुबह उन्हें कर्बला मैदान में सुपुर्द-ए-खाक किया जा सके। इस आयोजन के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि Jagannath Mela और Muharram Tazia के चलते होने वाली भीड़ से किसी प्रकार की असुविधा न हो और सभी लोग अपने-अपने धार्मिक पर्व को शांतिपूर्ण ढंग से मना सकें।
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Rajasthan News: अलवर में सांप्रदायिक सौहार्द
Rajasthan News: नंगली मोहल्ले और मेव बोर्डिंग से ताजिया निकाला गया और दोनों ताजियों को भगत सिंह सर्किल पर मिलाकर जेल चौराहा स्थित कर्बला मैदान ले जाया गया। वहां, बुधवार सुबह समाज के लोगों द्वारा ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया जाएगा। मेव पंचायत के संरक्षक शेर मोहम्मद ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि एक तरफ Jagannath Mela चल रहा है और दूसरी तरफ Muharram का पर्व। दोनों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि मोहर्रम से एक दिन पहले ही ताजियों को निकाला जाए।
सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का पैगाम
इस आयोजन ने लोगों के अंदर सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का पैगाम दिया है। कई बार अफवाहों के कारण समाज में गलतफहमियाँ पैदा हो जाती हैं, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। लेकिन इस बार, सभी ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि जिले का नाम खराब न हो और भाईचारे में कोई खलल न पड़े। ताजियों के समय में बदलाव करने से दोनों समुदायों ने एक दूसरे के प्रति सहयोग और सम्मान का प्रदर्शन किया है।
समाज के लिए एक मिसाल
इस प्रकार की पहल न केवल अलवर में बल्कि पूरे देश में एक मिसाल के रूप में देखी जा सकती है। शेर मोहम्मद ने कहा कि इस कदम से भविष्य में भी सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारा बना रहेगा और सभी धार्मिक पर्व शांति और सहयोग के साथ मनाए जा सकेंगे।
भाईचारे का संदेश
इस आयोजन ने सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे के संदेश को और भी प्रबल बना दिया है। यह दिखाता है कि कैसे विभिन्न समुदाय आपस में मिलजुल कर अपने धार्मिक पर्व मना सकते हैं। अलवर का यह उदाहरण पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जिससे समाज में आपसी भाईचारा और सौहार्द बढ़ेगा।
अलवर का भविष्य
अलवर में इस प्रकार के आयोजनों से भविष्य में भी सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी धार्मिक पर्व शांति और सहयोग के साथ मनाए जा सकें, और समाज में कोई भी व्यक्ति धार्मिक तनाव का सामना न करे।