जयपुर – प्रदेश में बसों का सफर कितना असुरक्षित है, इसकी तस्वीर तब सामने आई जब परिवहन विभाग ने 22 से 31 मई तक बसों की जांच का विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान परिवहन विभाग को बसों के संचालन से जुड़ी दर्जनों अनियमितताएं मिलीं। 10 दिन के इस अभियान में 18242 वाहनों पर कार्रवाई की गई, जिसमें बिना नंबर प्लेट की बसें, बिना परमिट के चलने वाली बसें, और अवैध रूप से सीटें बढ़ाने जैसी अनियमितताएं शामिल हैं।
परिवहन विभाग ने बड़ी संख्या में शिकायतें मिलने के बाद यह अभियान शुरू किया। जांच के दौरान, 106 बसें बिना नंबर प्लेट के चलती पाई गईं, जबकि 474 बसें बिना परमिट के संचालित हो रही थीं। 33 बसों में चेसिस काटकर डिक्की बनाई गई थी और 50 बसों में चेसिस बढ़ाकर सीटें बढ़ाई गईं। 229 बसें बिना वैध स्पीड गवर्नर के पाई गईं और 1048 वाहनों के पास फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं था।
परिवहन विभाग ने 6.91 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला। नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, और मध्य प्रदेश में पंजीकृत बसों पर भी सख्ती बरती गई। नागालैंड में पंजीकृत 75 बसों, अरुणाचल प्रदेश में 179 बसों और मध्य प्रदेश में पंजीकृत 94 वाहनों के चालान बनाए गए।
यह अभियान दर्शाता है कि बसों की सुरक्षा और नियमों के पालन में गंभीर खामियां हैं, जिन्हें तत्काल सुधारने की जरूरत है। परिवहन विभाग का यह कदम सड़क सुरक्षा में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण है और इससे यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित होगा।