Rajasthan: JDA की छवि दागदार, सुधार के प्रयास क्यों विफल, अफसरों पर क्यों नहीं लगाई जा रही लगाम

Rajasthan नगर विकास प्राधिकरण (JDA) की छवि दिन-प्रतिदिन दागदार होती जा रही है, और सुधार लाने में JDA डिवेलपमेंट कमेटी (JDC) पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रही है। फाइलें अटकाने वाले अफसरों पर लगाम क्यों नहीं लगाई जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है।

Rajasthan: ‘राजकाज सॉफ्टवेयर’ का उपयोग क्यों नहीं?

राजकाज सॉफ्टवेयर के जरिए अगर JDA प्रशासन ने ‘शिकंजा’ कसा होता, तो शायद कई समस्याओं का समाधान हो सकता था। मुख्य सचिव का इस सॉफ्टवेयर पर पूरा फोकस है, लेकिन JDA प्रशासन इसका उपयोग क्यों नहीं कर रहा है, यह स्पष्ट नहीं है।

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Rajasthan: जोन उपायुक्तों की बार-बार बदलती तैनाती का प्रभाव

हर माह बार-बार बदलते कई जोन उपायुक्तों का JDA के कामकाज पर ‘साइड इफेक्ट’ पड़ रहा है। जनता के रोजमर्रा के कामकाज में आ रही अड़चनें इस बात का संकेत हैं कि क्या बार-बार जोन उपायुक्त बदला जाना ही समाधान है?

समाधान की दिशा में उठाए गए कदम

JDA के समक्ष खड़ी चुनौतियों का सामना करने और सुधार लाने के लिए जरूरी है कि:

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  1. अफसरों की जिम्मेदारी तय की जाए: फाइलों को अटकाने वाले अफसरों को जवाबदेह बनाया जाए।
  2. सॉफ्टवेयर का प्रभावी उपयोग किया जाए: ‘राजकाज सॉफ्टवेयर’ को पूरी तरह से अपनाया जाए ताकि प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित हो सके।
  3. स्थिर नेतृत्व सुनिश्चित किया जाए: बार-बार उपायुक्तों की तैनाती की समस्या को सुलझाया जाए और स्थिर नेतृत्व सुनिश्चित किया जाए।

इन कदमों को उठाकर JDA अपनी छवि सुधारने और जनता की समस्याओं का समाधान करने में सफल हो सकता है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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