सर्जनात्मक सन्तुष्टि संस्थान द्वारा Jodhpur के बाल निकेतन विद्यालय के सभागार में वरिष्ठ कवि विमल मेहरा की प्रबन्ध काव्यकृति ‘अग्नि-समाधि’ का भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समालोचक डॉ. रमाकान्त शर्मा ने की। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ लेखक डॉ. हरिदास व्यास और विशिष्ट अतिथि के तौर पर कथाकार हरि प्रकाश राठी मौजूद रहे। मंच संचालन संस्थान के सहसचिव एम. एम. ‘अरमान’ ने किया।
Jodhpur: संस्थान के रजत जयंती वर्ष की घोषणा
संस्थान के सचिव कमल शर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम संस्थान की आगामी रजत जयंती वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। उन्होंने संस्थान की सर्जनात्मक उपलब्धियों को रेखांकित किया। संस्थापक अनिल अनवर ने अतिथियों को साहित्यिक पुस्तकें भेंट कीं, जबकि संरक्षक मृदुला श्रीवास्तव ने स्मृति चिह्न प्रदान किए।
काव्यकृति का विमोचन और कवि का सम्मान
मंचासीन अतिथियों द्वारा काव्यकृति का विमोचन किया गया। कवि विमल मेहरा को शाल, पुष्पहार, साहित्य, और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी कुछ कविताएं और काव्य के अंश प्रस्तुत किए, जिन्हें श्रोताओं ने सराहा।
विशिष्ट वक्तव्यों ने बढ़ाई गरिमा
पत्रवाचन में महावीर सिंह ‘ख़ुर्शीद’ ख़ैराड़ी ने ‘अग्नि-समाधि’ की ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृति की प्रशंसा करते हुए कुछ कमियों का भी उल्लेख किया।
विशिष्ट अतिथि हरि प्रकाश राठी ने काव्य में छन्द की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा, “छन्दोबद्ध काव्य हमारी परंपरा का आधार है, जिसने हमारे साहित्य और इतिहास को सुरक्षित रखा।”
मुख्य अतिथि डॉ. हरिदास व्यास ने भाव प्रवाह और लयबद्धता को काव्य की प्रमुखता बताया। उन्होंने कहा कि तुलसीदास की काव्य प्रतिभा छन्द से परे जाकर उनके भावों में दिखती है।
अध्यक्ष डॉ. रमाकान्त शर्मा ने भारतीय छन्दोबद्ध काव्य परम्परा की समृद्धि को रेखांकित करते हुए कहा कि “छन्द और लयबद्धता काव्य को संपूर्ण बनाते हैं।”
साहित्यकारों और काव्यानुरागियों की सहभागिता
इस आयोजन में जोधपुर के अलावा अन्य शहरों से आए साहित्यकारों और कवि-प्रेमियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम ने साहित्यिक जगत में सृजनात्मकता की नई ऊर्जा का संचार किया।