Karauli City: जिसे मदन मोहनजी मंदिर के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मदन मोहनजी के दर्शन कर भक्त खुशहाली और समृद्धि की कामना करते हैं। खासकर तीज त्योहार पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, क्योंकि मदन मोहनजी वर्ष में दो बार, सामनी तीज और धूलंडी के मौके पर चांदी के झूले में विराजित होते हैं।
Karauli चांदी के झूलों में विराजमान मदन मोहनजी
इन झूलों के दर्शन के लिए करौली सहित दूर-दराज से भक्त मदन मोहनजी मंदिर पहुंचते हैं। मंदिर का इतिहास अत्यंत समृद्ध है। 1669 ईस्वी में मुगल बादशाह औरंगजेब के धार्मिक असहिष्णुता के कारण मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था। कृष्ण भक्त आचार्यों ने मूर्तियों को सुरक्षित रखने का प्रयास किया और 1718 ईस्वी में जयपुर नरेश सवाई जय सिंह द्वितीय ने मदन मोहनजी सहित अन्य विग्रहों को जयपुर ले जाने की इच्छा जताई।
Jaipur से करौली तक की यात्रा
Karauli: 1723 ईस्वी में इन विग्रहों को जयपुर लाया गया और वहां स्थापित किया गया। करौली नरेश गोपाल सिंह ने इन विग्रहों को करौली भेजने का आग्रह किया और 1743 ईस्वी में मदन मोहनजी की पालकी करौली पहुंची। करौली में नए मंदिर की स्थापना 5 वर्षों में पूरी हुई और आज भी मदन मोहनजी की महिमा अपरंपार है। यहाँ के भक्तों की मान्यता है कि मदन मोहनजी, गोविंद देव जी, और गोपीनाथ जी के दर्शन एक ही दिन में करने से संपूर्ण कृष्ण दर्शन प्राप्त होते हैं।
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