Sikar रेवासा धाम के पीठाधीश्वर डॉ. राघवाचार्य महाराज का आज उनके अनुयायियों और साधु-संतों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। रेवासा मंदिर के पास स्थित बावड़ी प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ उनका पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हुआ।
बैकुंठ रथ यात्रा के साथ अंतिम विदाई
डॉ. राघवाचार्य महाराज के निधन के बाद आज सुबह विधि-विधान से अंतिम संस्कार की तैयारियां की गईं। इसके बाद रेवासा गांव में बैकुंठ रथ यात्रा निकाली गई, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत, जनप्रतिनिधि, और अनुयायी शामिल हुए। रथ यात्रा के बाद बावड़ी प्रांगण में उनका अंतिम संस्कार किया गया, जहां उनके उत्तराधिकारी महंत राजेंद्रदास देवाचार्य ने मुखाग्नि दी।
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श्रद्धांजलि देने पहुंचे गणमान्य लोग
अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में साधु-संत और जनप्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, दांतारामगढ़ विधायक वीरेंद्र चौधरी, और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे। इन सभी ने राघवाचार्य महाराज के जीवन और उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।
संस्कृत और गौ सेवा के लिए समर्पित जीवन
डॉ. राघवाचार्य महाराज ने अपने जीवन का अधिकांश समय संस्कृत शिक्षा और गौ सेवा के लिए समर्पित किया। उनके द्वारा स्थापित वैदिक विद्यालयों में हजारों छात्रों ने शिक्षा ग्रहण की है, जो अब विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। महाराज ने हमेशा गौ माता को राष्ट्र गौ माता का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास किया और सरकारों से इसके लिए अनुदान लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अपूर्णीय क्षति
उनके निधन पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई नेताओं और संतों ने संवेदना व्यक्त की और इसे समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया। महाराज के अनुयायी और शिष्य उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और शिक्षाओं को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुए उन्हें नमन करने पहुंचे।