Madhya Pradesh:बैतूल जिले में प्रशासन और शिक्षकों की एक पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले निर्धन विद्यार्थियों के सपनों को पंख लगा दिया है। जिले में सरकारी स्कूलों के 84 छात्रों ने NEET और JEE परीक्षा में सफलता हासिल की है। अब गरीब परिवारों के ये बच्चे इंजीनियर और डॉक्टर बन पाएंगे। इन छात्रों की सफलता के पीछे कुछ अधिकारियों और सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की कड़ी मेहनत और समर्पण है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले इन बच्चों के परिवार के पास प्रतियोगी परीक्षा की महंगी कोचिंग की फीस देने के लिए पैसे नहीं होते हैं। ऐसे में प्रशासनिक पहल पर जिले के सरकारी स्कूल के 60 शिक्षकों को इन बच्चों को NEET और JEE की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 200 छात्रों को निशुल्क कोचिंग देने की योजना बनाई गई। शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर कोचिंग देने के लिए तैयार किया गया। जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने छुट्टियों के दिनों में भी कड़ी मेहनत कर छात्रों को निशुल्क कोचिंग दी, ताकि उनके भविष्य को संवार सके।
निजी कोचिंग संस्थानों में जहां छात्रों को हजारों रुपए फीस भरनी पड़ती है, वहीं बैतूल जिले में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने निशुल्क कोचिंग देकर 84 गरीब छात्रों का भविष्य उज्ज्वल बना दिया है। जिले में सरकारी स्कूलों के 57 बच्चों ने NEET और 27 छात्रों ने JEE में क्वालिफाई किया है। छात्रों के अनुसार, खेती और मजदूरी करने वाले उनके परिवार निजी कोचिंग सेंटरों की भारी भरकम फीस भरने में असमर्थ थे, जिससे उनका डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना अधूरा रह जाता।
बैतूल के जिला प्रशासन और शिक्षकों की यह पहल उनके लिए वरदान साबित हुई और इन सरकारी स्कूल के बच्चों ने निःशुल्क कोचिंग लेकर प्रतियोगी परीक्षा पास कर अपने सपने साकार किए हैं। प्रशासन के अधिकारियों ने बैतूल जैसे आदिवासी जिले में निर्धन बच्चों के भविष्य की चिंता करते हुए शिक्षकों के माध्यम से योजनाबद्ध तरीके से जिले भर के छात्रों को निशुल्क कोचिंग देकर अच्छे परिणाम लाए हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की ऐसी सेवाभावी पहल अगर हर जगह होने लगे तो गरीबी के अभाव में अपने सपने पूरा नहीं कर पा रहे होनहार छात्र अपना बेहतर भविष्य बना सकते हैं।