पर्यावरण का संरक्षण जरुरी है, ये कहने की बात नहीं है बल्कि इसे समझना और इसके लिए प्रयास करना भी जरुरी है। डिंडौरी जिले में चांदपुर गांव के लोगों ने मिलकर गाँव को हरा-भरा रखने का बीड़ा उठाया है। जंगल और जीव-जंतु हमारे ईको सिस्टम का हिस्सा हैं, ऐसे में इनका संरक्षण बेहद अहम माना जाता है। मानव जीवन के लिए इनका होना बेहद जरुरी है, लेकिन आधुनिकता के इस दौर में ईको सिस्टम को काफी नुकसान हो रहा है। जंगल सिमट रहे हैं, ऐसे में जीव-जंतुओं की संख्या भी कम होने लगी है, साथ ही जलस्तर भी काफी गिरता जा रहा है।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधारोपण कर ग्रामीणों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने का काम किया जा रहा है। दरअसल, चांदपुर के आसपास के ग्रामों में जलसंकट की भयावह स्थिति को देखते हुए गांव के युवाओं ने पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए पहले साल में ही सैंकड़ों पौधे लगाये थे जो अब पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं। गांव के ही करीब 25 युवा समेत छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी शामिल हैं जिनके द्वारा न सिर्फ पौधे लगाये जाते हैं बल्कि पौधों की सुरक्षा के लिए फटे पुराने कपड़ों एवं लकड़ियों को एकत्र कर जुगाड़ से ट्री गार्ड तैयार कर सिंचाई आदि का भी ध्यान रखा जाता है।
चांदपुर गांव के ग्रामीणों ने न केवल पौधारोपण में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, बल्कि पेड़ों की देखभाल के लिए भी सामूहिक प्रयास किए। खास बात यह है कि ज्यादा से ज्यादा पीपल और बरगद के पौधे लगाए जा रहे हैं क्योंकि ग्रामीण इलाकों में पीपल और बरगद के पेड़ों को देवतुल्य माना जाता है। इसके अलावा, इन पेड़ों में ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है।
जितेश शुक्ला, स्थानीय निवासी: हमने यह पहल इसलिए शुरू की क्योंकि हमें जलसंकट का सामना करना पड़ा। पौधारोपण से न केवल हमें जलस्तर बढ़ाने में मदद मिली, बल्कि यह हमारे गांव को हरा-भरा बनाने में भी सहायक रहा।”
माखन शुक्ला, स्थानीय निवासी: हमने ज्यादा से ज्यादा पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं क्योंकि ये पौधे ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा प्रदान करते हैं और ग्रामीण इलाकों में इन्हें देवतुल्य माना जाता है। यह पहल हमारे गांव को एक नई पहचान दिला रही है।”