Mandla के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने हाल ही में कैबिनेट में मंत्री पद न मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। कुलस्ते ने कहा था कि उन्हें केंद्र में राज्यमंत्री पद ऑफर किया गया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। उनका कहना था कि यदि उन्हें कैबिनेट में मंत्री (Cabinet Minister) बनाया जाए, तो वह इसे स्वीकार करेंगे। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई थी।
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हालांकि, आज फग्गन सिंह कुलस्ते ने अपने पुराने बयान से पलटते हुए कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया था। जब कुलस्ते से पूछा गया कि क्या उन्हें प्रोटेम स्पीकर (Protem Speaker) का पद दिया जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि यह पार्टी (Party Decision) का निर्णय होता है और पार्टी जो भी तय करेगी, उसे स्वीकार किया जाएगा।
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इस बदलते बयान पर राजनीतिक विश्लेषक (Political Analysts) विभिन्न धारणाएँ बना रहे हैं। कुछ का कहना है कि कुलस्ते पार्टी के दबाव में अपने बयान से पलटे हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह उनके व्यक्तिगत निर्णय का परिणाम है। कुलस्ते के इस बदलाव से पार्टी में चल रही अंदरूनी राजनीति (Internal Politics) और सत्ता संघर्ष (Power Struggle) की झलक मिलती है।
यह घटना यह भी दर्शाती है कि राजनीति (Politics) में बयानों का महत्व कितना अधिक होता है और कैसे एक बयान राजनीतिक समीकरणों को बदल सकता है। कुलस्ते का यह बयान न केवल उनके समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, बल्कि विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर निशाना साधा है।
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