देशभर में वक्फ संशोधित विधेयक को लेकर हंगामा मचा हुआ है, जिसके तहत केंद्र सरकार Waqf Board की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाने और वक्फ की संपत्तियों से जुड़ी अनियमितताओं को दूर करने का प्रयास कर रही है। इस बीच, बिहार के पटना जिले से सटे फतुहा के गोविंदपुर गांव से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने यहां के निवासियों को नोटिस जारी किया है, जो कई वर्षों से अपने मकान में रह रहे हैं। इस गांव में लगभग 95 प्रतिशत हिंदू परिवार निवास करते हैं। वक्फ बोर्ड ने इनकी जमीन पर दावा किया है।
भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और निवासियों को 30 दिनों के भीतर इसे खाली करना होगा। वक्फ बोर्ड ने गांव में अपना बोर्ड भी लगा दिया है, जो अभी भी वहां मौजूद है। पीड़ित लोग अधिकारियों के पास जाकर राहत की गुहार लगाते रहे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद, लोगों ने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने त्वरित राहत प्रदान की, लेकिन वक्फ बोर्ड अदालत में जमीन के वक्फ होने के कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके बावजूद, लोग वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों से भयभीत हैं और भविष्य में कुछ भी हो सकता है, इस चिंता को लेकर परेशान हैं।
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निजी चैनल एबीपी न्यूज़ से बातचीत में नोटिस प्राप्त करने वाले रामलाल, राज किशोर और संदीप कुमार ने बताया कि यह जमीन उनकी पुश्तैनी खतियानी जमीन है, जो 1908 के सर्वे के समय से उनके पास है। उन्होंने अपने दस्तावेज भी दिखाए और कहा कि वे लंबे समय से यहां रह रहे हैं। हालांकि, वक्फ बोर्ड से लगातार नोटिस आ रहा है कि वे 30 दिनों के अंदर जमीन खाली करें। वक्फ बोर्ड ने केवल उर्दू में लिखा एक कागज का टुकड़ा दिया, जो स्पष्ट नहीं था, और हिंदी में ट्रांसलेट करने से इंकार कर दिया।
स्थानीय पार्षद जितेंद्र कुमार और शिव शंकर ने भी बताया कि वक्फ बोर्ड इस क्षेत्र में अन्य लोगों को भी नोटिस भेज सकता है और उनकी संपत्ति पर भी दावा कर सकता है। इस स्थिति से लोग डर और चिंता में हैं।
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बिहार शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अफजल अब्बास ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह वक्फ बोर्ड से जुड़ा मामला है और बोर्ड उचित कदम उठाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि वक्फ बोर्ड किसी की जमीन पर जबरन कब्जा नहीं करेगा और किसी के साथ अन्याय नहीं करेगा।
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