समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष Akhilesh Yadav ने हाल ही में सदन में एक गंभीर सवाल उठाया है, जिसमें उन्होंने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यादव का कहना है कि बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस के नेताओं या अन्य विपक्षी नेताओं की जाति पूछने का प्रयास किया है। यादव ने आरोप लगाया कि यह एक रणनीतिक कदम है, जिसका उद्देश्य जातिगत जनगणना के मुद्दे को भटकाना और राजनीतिक लाभ उठाना है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी की यह हरकतें न केवल असंवैधानिक हैं, बल्कि समाज में जातिवाद को बढ़ावा देने वाली हैं।
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Akhilesh Yadav ने यह भी दावा किया कि बीजेपी के मंत्री अनुराग ठाकुर को यह निर्देश दिया गया है कि उन्हें सदन में 99 बार गाली सुनने के बाद ही मंत्री पद मिलेगा। यह बयान विशेष रूप से राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। यादव के अनुसार, यह अपमानजनक स्थिति बीजेपी द्वारा विपक्षी नेताओं के प्रति अपनाई गई नीति का हिस्सा है, जो राजनीतिक दबाव और असहमति को कुचलने के लिए बनाई गई है।
इसके अलावा, अखिलेश यादव ने जातिगत जनगणना की मांग को सही ठहराया और कहा कि बीजेपी इसे गलत तरीके से पेश कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी पीडीए (प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन) से घबराई हुई है और इसीलिए जातिगत जनगणना के मुद्दे को टालने की कोशिश कर रही है। यादव का आरोप है कि बीजेपी और पीडीए के बीच की खींचतान ने राजनीति को और भी जटिल बना दिया है, जिससे दिल्ली और लखनऊ के बीच का विवाद और भी गहरा हो गया है।
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यादव ने यह भी टिप्पणी की कि दिल्लीवालों ने लखनऊवालों को धोखा दिया है, और लखनऊवालों ने दिल्लीवालों को, जिसके चलते दोनों शहरों के लोग आपस में एक-दूसरे से सिर पटक रहे हैं। इस बयान ने राजनीतिक माहौल को और भी तना हुआ बना दिया है और इसके प्रभाव से समाज में और अधिक असंतोष फैल सकता है।
इससे यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में जातिगत और क्षेत्रीय विवादों ने एक नया मोड़ ले लिया है। इस प्रकार के विवाद और आरोप-प्रत्यारोप राजनीति में न केवल दलों के बीच संघर्ष को बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में भी अस्थिरता पैदा करते हैं।
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