विश्लेषण: हिमंता का ‘ऑपरेशन मियां मुसलमान’ और असम की बदलती डेमोग्राफी


असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने हाल ही में अपने राज्य की डेमोग्राफी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बांग्लादेश से आए मिया मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर सख्त रुख अपनाया है और उन्हें असम की संस्कृति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। यह मुद्दा तब और गरम हो गया जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में “आग लग जाने” जैसी धमकी दी। इसके बाद हिमंता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, जो पहले ही बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा को लेकर काफी आक्रोशित थे।

हिमंता की चिंता असम के उन क्षेत्रों में है जहां हिंदू बहुलता धीरे-धीरे मिया मुस्लिम बहुलता में बदल रही है। राज्य में घुसपैठ के आंकड़े चिंताजनक हैं, और 1971 से 2014 के बीच 47,928 घुसपैठियों के राज्य में प्रवेश की बात सामने आई है, जिनमें से 56 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से हैं। इस घुसपैठ के परिणामस्वरूप, असम के कई इलाकों में हिंदुओं का पलायन हुआ है, जिससे इन क्षेत्रों की सामाजिक संरचना में बड़ा बदलाव देखा गया है।

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हिमंता ने स्पष्ट किया है कि वे असम की जमीन को मिया मुस्लिमों की जमीन नहीं बनने देंगे। उन्होंने राज्य की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है। असम विधानसभा में उन्होंने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में असम की बदलती डेमोग्राफी पर श्वेतपत्र लाने की भी बात की। उनका दावा है कि असम के 28 हजार पोलिंग बूथ्स में से 23 हजार पर डेमोग्राफी पूरी तरह से बदल रही है, जो कि राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा बनता जा रहा है।

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दूसरी ओर, असम में विपक्षी दलों ने मिया मुस्लिमों की सुरक्षा की मांग की है। वे हिमंता के इस सख्त रुख को राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ मानते हैं और इसे सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला कदम करार दे रहे हैं। AIUDF के विधायक हाफिज़ रफीकुल इस्लाम और मुस्लिम स्कॉलर मो. अकील ने हिमंता की नीतियों पर तीखी आलोचना की है।

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