धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में स्थित कई ऐतिहासिक इमारतें, मंदिर और तीर्थ स्थल विश्वभर में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। इन्हीं में से एक है बिरला मंदिर, जो ब्रह्मसरोवर के नजदीक स्थित है और करीब 70 साल पुराना है। हाल ही में इस मंदिर की जमीन को बेचकर मार्किट बनाने की कवायद शुरू हो चुकी थी, जिसके विरोध में कई सामाजिक संस्थाएं और स्थानीय लोग मैदान में कूद पड़े हैं।
अशोक शर्मा का खुलासा
समाजसेवी अशोक शर्मा पहलवान ने इस मामले को लेकर एक बड़ी पत्रकार वार्ता की। उन्होंने निजी होटल में जमीन से जुड़े कागजातों को पेश करते हुए प्रशासन पर आरोप लगाए कि बिरला मंदिर की 1019 गज जमीन बेची गई, जिसमें से 66 गज जमीन की रजिस्ट्री भी करवाई गई है। शर्मा ने स्पष्ट किया कि किसी भी कीमत पर बिरला मंदिर की जमीन पर मार्केट नहीं बनने दी जाएगी और इसके लिए वे संघर्ष करने को तैयार हैं।
यहां हमारे व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें
प्रशासन को चेतावनी
अशोक शर्मा ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर रविवार तक इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया गया तो सोमवार से बिरला मंदिर परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम किसी भी कीमत पर हमारी ऐतिहासिक धरोहर को नष्ट नहीं होने देंगे। अगर प्रशासन ने समय रहते इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की, तो हम धरना प्रदर्शन करेंगे और सरकार को जवाब देना होगा।”
समाजसेवी संस्थाओं का समर्थन
कुरुक्षेत्र की कई सामाजिक संस्थाएं और स्थानीय निवासी भी इस मुहिम में अशोक शर्मा के साथ जुड़ चुके हैं। सभी का एक ही उद्देश्य है कि बिरला मंदिर की जमीन को बचाया जाए और वहां मार्केट न बनने दी जाए। इस आंदोलन को लेकर लोगों में खासा आक्रोश है और वे अपनी ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए संगठित हो रहे हैं।
यहां हमारे ट्विटर से जुड़ें
अपील
अशोक शर्मा ने कुरुक्षेत्र वासियों से अपील की है कि वे इस मुहिम के साथ जुड़ें और बिरला मंदिर की जमीन को बचाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा, “यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है। सभी लोग इस मुहिम के साथ जुड़ें और हमारे आंदोलन को समर्थन दें ताकि हम अपने मंदिर को बचा सकें।”
निष्कर्ष
Birla मंदिर कुरुक्षेत्र की जमीन को बेचकर मार्केट बनाने की कवायद के विरोध में अशोक शर्मा पहलवान ने प्रशासन को चेतावनी दी है और रविवार तक कार्रवाई नहीं होने पर सोमवार से धरना प्रदर्शन की घोषणा की है। समाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय निवासियों का समर्थन इस मुहिम को और मजबूत बना रहा है।
यह आंदोलन एक उदाहरण है कि किस तरह से स्थानीय समुदाय अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को बचाने के लिए संगठित हो सकता है और प्रशासन को जवाबदेह बना सकता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या यह आंदोलन अपने उद्देश्य में सफल होता है।
और पढ़ें