चीन में हुई एक घटना ने सामाजिक और कानूनी बहस को जन्म दे दिया है। हुआंग देई नाम के शख्स ने उत्तरी चीन के जिलिन प्रांत के झेनलिन गांव के लिए अपनी खुद की पूंजी से एक पंटून पुल (पीपा पुल) का निर्माण करवाया। इसका उद्देश्य था गांव के लोगों को ताओर नदी पार करने में आसानी प्रदान करना, क्योंकि पुल की अनुपस्थिति के कारण स्थानीय लोगों को 70 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता था। पुल बनने के बाद, स्थानीयों ने इसका स्वागत किया और टोल के रूप में हुआंग को भुगतान करने के लिए भी तैयार हो गए।
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हालांकि, चार साल बाद ताओनान जल मामलों के प्राधिकरण ने इसे अवैध निर्माण करार देते हुए पुल तोड़ने का आदेश दिया। हुआंग और उसके परिवार पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने इस पुल से अवैध रूप से पैसे कमाए। हुआंग ने अपनी दलील में कहा कि पुल का निर्माण केवल स्थानीय लोगों की मदद करने के लिए किया गया था और मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलील खारिज करते हुए उन्हें दो साल की सजा सुना दी।
इस घटना ने चीनी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा छेड़ दी है। कुछ लोग इसे अवैध टोल वसूली की सजा मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे समाज सेवा का अंजाम बता रहे हैं। जून 2023 में हुआंग ने अपनी सजा के खिलाफ अपील की है, लेकिन अब तक फैसला लंबित है। क्षेत्रीय अधिकारियों ने नया पुल बनाने का वादा किया है, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।