Congress ने हाल ही में यह घोषणा की है कि वे संसद (Parliament) में ईंट से ईंट बजा देंगे। आखिर इतना आत्मविश्वास (Confidence) कहां से आया है? इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिन पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस के आत्मविश्वास के मायने क्या हैं
कांग्रेस (Congress) के इस आत्मविश्वास के कई मायने हो सकते हैं। पहला, पार्टी की पिछले कुछ समय में हुई रणनीतिक तैयारियों (Strategic Preparations) और सहयोगी दलों के साथ बढ़ते संवाद (Communication with Allies) से यह आत्मविश्वास आया हो सकता है। दूसरा, पार्टी को विश्वास हो सकता है कि वे जनता के मुद्दों (Public Issues) को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकेंगे और सरकार पर दबाव बना सकेंगे। तीसरा, कांग्रेस ने अपने आंतरिक संगठन (Internal Organization) को मजबूत किया है और इसके परिणामस्वरूप पार्टी में एक नया जोश और आत्मविश्वास देखने को मिल रहा है।
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स्पीकर (Speaker) पद को लेकर हंगामा इस बात का संकेत है कि संसद में शक्ति संतुलन (Power Balance) कितना महत्वपूर्ण है। स्पीकर का पद महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे सदन की कार्यवाही (Proceedings) का संचालन करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी सदस्यों को बोलने का अवसर मिले। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि स्पीकर निष्पक्ष (Impartial) और संतुलित रहें, ताकि उनकी आवाज भी सुनी जा सके।
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डिप्टी स्पीकर (Deputy Speaker) का पद आमतौर पर विपक्ष (Opposition) के सबसे बड़े दल को मिलता था, या फिर विपक्ष की सहमति (Opposition’s Consent) से किसी को दिया जाता था। लेकिन वर्तमान में ऐसा होता नहीं दिख रहा है। यह सही नहीं माना जा सकता क्योंकि इससे संसद में विपक्ष की भागीदारी (Participation) कम हो सकती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया (Democratic Process) प्रभावित हो सकती है। विपक्षी दल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि डिप्टी स्पीकर का पद निष्पक्षता (Fairness) से दिया जाए और इससे सदन की कार्यवाही में संतुलन बना रहे।
विपक्ष की डिप्टी स्पीकर पद के लिए लड़ाई
अब विपक्ष (Opposition) ने डिप्टी स्पीकर पद के लिए लड़ाई लड़ने की घोषणा की है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे संसद में अपनी भूमिका (Role) को गंभीरता से ले रहे हैं और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी आवाज को सुना जाए। विपक्ष का यह कदम लोकतंत्र (Democracy) के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बना रहता है और सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सकती है।
इन सभी मुद्दों पर अधिक जानकारी और विस्तृत विचार के लिए, हम योगेंद्र चंदौलिया से सुनते हैं, जो बीजेपी सांसद (BJP MP) हैं और इस विषय पर उनकी राय महत्वपूर्ण हो सकती है।
योगेंद्र चंदौलिया (Yogendra Chandauliya) का मानना है कि विपक्ष को अपने अधिकारों (Rights) के लिए संघर्ष करना चाहिए, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद की गरिमा (Dignity) और लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो। उनका कहना है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को मिलकर काम करना चाहिए ताकि जनता के हित (Public Interest) में निर्णय लिए जा सकें।
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