Economic Survey: 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य, कौशल विकास में हो रही वृद्धि

Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 51.25 प्रतिशत युवा रोजगार के योग्य माने जाते हैं। इसका मतलब है कि सीधे कॉलेज से बाहर आने वाले लगभग दो में से एक युवा अभी भी आसानी से रोजगार प्राप्त करने के लिए आवश्यक योग्यताओं को पूरा नहीं करता। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले दशक में स्किल्ड युवाओं का प्रतिशत लगभग 34 प्रतिशत से बढ़कर 51.3 प्रतिशत हो गया है, जो कौशल विकास में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की रिपोर्ट:

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने बताया कि “भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति पर एनएसएसओ, 2011-12 (68वें दौर) की रिपोर्ट के अनुसार, 15-59 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में लगभग 2.2 प्रतिशत ने औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है। वहीं, 8.6 प्रतिशत ने गैर-औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।”

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वर्तमान स्थिति:

रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत में शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है। रोजगार योग्य युवाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन यह प्रतिशत अभी भी पर्याप्त नहीं है।

कौशल विकास की आवश्यकता:

कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण की बढ़ती आवश्यकता को समझते हुए, सरकार और निजी संस्थान दोनों ने विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की शुरुआत की है। इनमें से कुछ प्रमुख कार्यक्रम और योजनाएं निम्नलिखित हैं:

  1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): यह योजना युवाओं को उद्योग-प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है ताकि वे रोजगार के योग्य बन सकें।
  2. राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप संवर्धन योजना (NAPS): इस योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाता है।
  3. स्किल इंडिया मिशन: इस मिशन के तहत विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि युवाओं को आवश्यक कौशल सिखाया जा सके।

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आगे की चुनौतियाँ:

कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सुधार की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इनमें से कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं:

  1. वास्तविक प्रशिक्षण का अभाव: औपचारिक और गैर-औपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण की पहुंच को बढ़ाने की आवश्यकता है।
  2. गुणवत्ता में सुधार: प्रशिक्षण की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है ताकि युवाओं को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रशिक्षण मिल सके।
  3. संरचनात्मक समस्याएं: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण सुविधाओं की कमी और शहरी क्षेत्रों में सुविधाओं की अतिरेक जैसी समस्याएं हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।

सरकार की पहल:

सरकार ने कौशल विकास को प्राथमिकता दी है और इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। इसमें नई प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना, मौजूदा सुविधाओं का उन्नयन और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कौशल विकास को एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में पहचाना है और कई अवसरों पर इस पर जोर दिया है। उनका मानना है कि एक कुशल युवा शक्ति देश की आर्थिक विकास की नींव हो सकती है।

समाज का दृष्टिकोण:

कौशल विकास की पहल को सफल बनाने के लिए समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिक्षण संस्थानों, उद्योगों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा ताकि युवाओं को आवश्यक प्रशिक्षण और अवसर मिल सकें।

इसके अलावा, युवाओं को भी कौशल विकास के महत्व को समझना होगा और इसके प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्हें अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए सक्रिय रूप से विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए।

निष्कर्ष:

आर्थिक सर्वेक्षण और कौशल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारत में रोजगार योग्य युवाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, लेकिन अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है। कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण की पहल को मजबूत करने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र और समाज को मिलकर काम करना होगा।

इस दिशा में उठाए गए कदम और प्रयासों के परिणामस्वरूप, भविष्य में भारत में रोजगार योग्य युवाओं की संख्या में और भी वृद्धि होने की संभावना है, जो देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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मनीष कुमार एक उभरते हुए पत्रकार हैं और हिंदी States में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं । उनकी रुचि राजनीती और क्राइम जैसे विषयों में हैं । उन्होंने अपनी पढ़ाई IMS Noida से की है।
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