Haryana फरीदाबाद में 12वीं के छात्र ने आत्महत्या की, 14वीं मंजिल से कूदा

Haryana: एक दिल दहला देने वाली घटना में फरीदाबाद के एक 12वीं कक्षा के छात्र ने आत्महत्या कर ली। छात्र ने 14वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। उसके पिता ने बताया कि कॉमर्स का टेस्ट था और उसकी तैयारी नहीं होने के कारण उसने यह कठोर कदम उठाया।

घटना का विवरण

यह दुखद घटना फरीदाबाद के एक रिहायशी सोसाइटी में हुई, जहां 12वीं कक्षा का छात्र 14वीं मंजिल से कूद गया। छात्र की पहचान रोहित (बदला हुआ नाम) के रूप में हुई है, जो अपने माता-पिता के साथ उसी सोसाइटी में रहता था।

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परिवार का बयान

रोहित के पिता ने बताया कि वह कॉमर्स का छात्र था और आगामी टेस्ट के लिए उसकी तैयारी नहीं हो पाई थी। इसी तनाव के चलते उसने आत्महत्या का फैसला किया। उन्होंने कहा, “रोहित हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था, लेकिन इस बार टेस्ट की तैयारी नहीं हो पाई थी। हमने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा कदम उठा लेगा।”

Haryana: पुलिस की प्रतिक्रिया

सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। फरीदाबाद पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “यह एक बहुत ही दुखद घटना है। प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। हम मामले की जांच कर रहे हैं और परिवार के सदस्यों से बात कर रहे हैं।”

मानसिक स्वास्थ्य पर विचार

इस घटना ने एक बार फिर से मानसिक स्वास्थ्य और छात्रों पर पढ़ाई के दबाव के मुद्दे को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पढ़ाई का दबाव और मानसिक तनाव बच्चों को आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

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मनोवैज्ञानिक डॉ. अनीता शर्मा ने कहा, “यह घटना हमें यह सिखाती है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। हमें बच्चों को समझना और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाना चाहिए। इसके लिए माता-पिता और शिक्षकों को मिलकर काम करना होगा।”

सामाजिक प्रतिक्रिया

सोसाइटी के लोगों और रोहित के दोस्तों ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक पड़ोसी ने कहा, “यह बहुत ही दुखद घटना है। रोहित बहुत ही अच्छा और होनहार लड़का था। हम सब उसके जाने से स्तब्ध हैं।”

Haryana: उपाय और सुझाव

विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों पर पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. समय प्रबंधन: बच्चों को समय प्रबंधन सिखाना चाहिए ताकि वे पढ़ाई के साथ-साथ अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकें।
  2. मनोवैज्ञानिक सहायता: छात्रों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे अपने तनाव और चिंता को संभाल सकें।
  3. माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका: माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों के साथ संवाद करना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए।

निष्कर्ष

फरीदाबाद में 12वीं कक्षा के छात्र की आत्महत्या एक बहुत ही दुखद घटना है, जो हमें बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और पढ़ाई के दबाव के मुद्दे पर विचार करने के लिए मजबूर करती है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे बच्चे मानसिक रूप से स्वस्थ और मजबूत रहें, ताकि वे इस प्रकार के कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर न हों। इस दिशा में हमें मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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मैं सिद्धार्थ राव, एक समर्पित और अनुभवी पत्रकार हूँ, जो स्थानीय और हाइपरलोकल खबरों को कवर करता हूँ। मेरी रिपोर्टिंग की शैली में सच्चाई और निष्पक्षता की झलक मिलती है। हर समाचार की गहराई तक जाकर, उसे स्पष्ट और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है। मेरी मेहनत और निष्पक्ष दृष्टिकोण ने मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहचान दिलाई है।
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