Haryana: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने हरियाणा में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है। यह फैसला सभी को चौंका देने वाला था, खासकर तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही खट्टर की जमकर तारीफ की थी। लेकिन 24 घंटे के भीतर ही खट्टर की सरकार को बदलकर नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया।
क्यों बदला गया हरियाणा का मुख्यमंत्री?
हरियाणा में मुख्यमंत्री बदलने का फैसला बीजेपी के पिछले रिकॉर्ड के अनुसार एक चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। बीजेपी ने गुजरात, त्रिपुरा और उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदले और चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन कर्नाटक में यह रणनीति कारगर नहीं रही। अब हरियाणा में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री बदलने का यह फैसला बीजेपी के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा।
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सत्ता विरोधी लहर से बचने की कोशिश
बीजेपी ने यह बदलाव ऐसे समय में किया जब हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ कोई खास विरोध नहीं था। अगर खट्टर 97 दिन और मुख्यमंत्री रहते, तो वह हरियाणा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री बन जाते। लेकिन सत्ता विरोधी लहर को नियंत्रित करने और जाट वोट को साधने के लिए यह फैसला लिया गया।
नायब सिंह सैनी: ओबीसी वर्ग से नया मुख्यमंत्री
बीजेपी ने ओबीसी वर्ग से आने वाले नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर पिछड़े वर्ग के नेताओं को एक बार फिर मौका दिया है। यह कदम कांग्रेस की जाति गणना और आरक्षण की मांग के मुकाबले एक महत्वपूर्ण रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। बीजेपी इस बदलाव को चुनावी फायदे के तौर पर पेश कर सकती है, क्योंकि कांग्रेस द्वारा बनाए गए मुख्यमंत्रियों में केवल 17.3% ओबीसी रहे हैं, जबकि बीजेपी के 30.9% मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से आते हैं।
जेजेपी से दूरी बनाना भी है रणनीति का हिस्सा
बीजेपी ने जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) से दूरी बनाकर और दुष्यंत चौटाला को गठबंधन से अलग कर एक और रणनीतिक चाल चली है। इस कदम से बीजेपी ने जाट वोट को सीधे कांग्रेस के पाले में जाने से रोकने का प्रयास किया है।
क्या हरियाणा में बीजेपी को फायदा होगा?
हरियाणा में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और मुख्यमंत्री बदलने का यह फैसला बीजेपी के लिए कितना फायदेमंद होगा, यह चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा। फिलहाल, बीजेपी की इस रणनीति का उद्देश्य सत्ता विरोधी लहर को रोकना और ओबीसी और गैर-जाट वोटरों को अपने पक्ष में करना है।