Iran and Israel: हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या के बाद मिडिल ईस्ट में माहौल गर्मा गया है: इस घटना के बाद ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ गया है, और इसके प्रभाव से रूस और अमेरिका के भी सीधे तौर पर इस संघर्ष में शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। नसरल्लाह की मौत के बाद, ईरान में बदले की मांग उठ रही है, जबकि इजराइल ने अमेरिका से मदद मांग ली है।
ईरान और रूस के कदम
ईरान के साथ रूस भी एक्शन में आ चुका है। रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन जल्द ही तेहरान की यात्रा करेंगे, जहां वे ईरान के साथ मिलकर रणनीति तैयार करेंगे। रूस और चीन, दोनों ईरान के पक्ष में खड़े हैं, जबकि इजराइल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में मिडिल ईस्ट में एक बड़े युद्ध की आशंका और बढ़ गई है।
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अमेरिका और इजराइल की तैयारियां
Iran and Israel: इजराइल पर हमले की सूरत में अमेरिका पूरी तरह से इजराइल का समर्थन करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हिजबुल्लाह और अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ इजराइल के एक्शन को समर्थन देते हुए कहा है कि अमेरिका इस संघर्ष में इजराइल के साथ खड़ा है। अमेरिका ने पहले ही USS ट्रूमैन और अन्य युद्धपोतों को मिडिल ईस्ट में तैनात कर दिया है।
प्रॉक्सी युद्ध या सीधा हमला?
ईरान के सामने फिलहाल दो विकल्प हैं – या तो इजराइल पर सीधा हमला किया जाए, या फिर प्रॉक्सी संगठनों के जरिए इजराइल पर प्रहार हो। ईरान के कट्टरवादी गुट इजराइल पर सीधे मिसाइल हमले की मांग कर रहे हैं, जबकि ईरान की नई सरकार संयम बरतने का सुझाव दे रही है। अंतिम निर्णय सुप्रीम लीडर खामेनेई को लेना है, लेकिन इजराइल पर हमले की तैयारियां तेजी से हो रही हैं।
संभावित हमले के निशाने
ईरान अपने प्रॉक्सी संगठनों, जैसे हिजबुल्लाह और हूती, को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हिजबुल्लाह के नए नेतृत्व के तहत इजराइल पर मिसाइल हमले की संभावना है, जबकि इजराइल ने अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए अमेरिका से अतिरिक्त एयर डिफेंस मिसाइलें मंगाई हैं। इस तनावपूर्ण माहौल में यह देखना होगा कि मिडिल ईस्ट में कौन-सा देश पहला कदम उठाता है।