IIT Bombay: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT Bombay) में आयोजित एक नाटक (Drama) में भगवान राम और माता सीता के अपमान (Insult) का आरोप लगने के बाद संस्थान ने सख्त कार्रवाई की है। नाटक में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आरोप में छात्रों पर 1.2 लाख रुपये का जुर्माना (Fine) लगाया गया है।
घटना का विवरण
IIT Bombay में हाल ही में एक नाटक का आयोजन हुआ था, जिसमें कथित रूप से भगवान राम और माता सीता का अपमान किया गया था। इस घटना के बाद छात्रों और समुदाय के लोगों में आक्रोश फैल गया। संस्थान के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच (Investigation) शुरू की।
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संस्थान की प्रतिक्रिया
IIT Bombay के प्रशासन (Administration) ने नाटक के आयोजकों और प्रतिभागियों से स्पष्टीकरण (Explanation) मांगा। जांच में पाया गया कि नाटक के दौरान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली सामग्री का उपयोग किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, संस्थान ने छात्रों पर 1.2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
छात्रों की प्रतिक्रिया
IIT Bombay: जुर्माना लगाने के बाद छात्रों ने इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि नाटक का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था, बल्कि यह एक रचनात्मक अभिव्यक्ति (Creative Expression) थी। छात्रों ने दावा किया कि उन्हें गलत समझा गया है और जुर्माना अनावश्यक है।
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समुदाय की प्रतिक्रिया
IIT Bombay: इस घटना के बाद स्थानीय समुदाय (Local Community) और धार्मिक संगठनों (Religious Organizations) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि धार्मिक प्रतीकों (Religious Symbols) का अपमान किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने IIT Bombay के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
आगे की दिशा
IIT Bombay ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाली गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संस्थान ने छात्रों को सतर्क (Cautious) रहने और इस प्रकार की घटनाओं से बचने की सलाह दी है।
IIT Bombay: निष्कर्ष
IIT Bombay में नाटक के दौरान धार्मिक भावनाओं के अपमान का आरोप लगने के बाद संस्थान ने सख्त कदम उठाते हुए छात्रों पर जुर्माना लगाया है। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि किसी भी प्रकार की रचनात्मक अभिव्यक्ति में सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनाओं (Cultural and Religious Sensitivities) का सम्मान करना आवश्यक है।
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