Kargil Vijay Diwas आज लद्दाख की पावन भूमि कारगिल विजय के 25 वर्षों की ऐतिहासिक गवाह बन रही है। कारगिल विजय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि राष्ट्र की रक्षा के लिए किए गए बलिदान अमर होते हैं। यह दिन, महीने, वर्ष, और सदियाँ बीत जाएंगी, लेकिन देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले शहीदों के नाम अमिट रहेंगे। हमारे सैनिकों के पराक्रम और बलिदान के प्रति यह देश सदा कृतज्ञ रहेगा।
सैन्य के प्रति सम्मान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल युद्ध के समय की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि उन्हें सौभाग्य मिला कि वे उस समय एक सामान्य नागरिक के रूप में सैनिकों के बीच थे। प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे हमारी सेनाओं ने इतनी ऊंचाई पर, कठिन परिस्थितियों में युद्ध ऑपरेशन को अंजाम दिया था। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि कारगिल में हमने केवल युद्ध नहीं जीता, बल्कि सत्य, संयम और सामर्थ्य का अद्भुत परिचय दिया।
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पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश: प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर हमला करते हुए कहा कि भारत शांति की दिशा में प्रयासरत था, लेकिन पाकिस्तान ने बार-बार अपनी नापाक गतिविधियों से इसका प्रत्युत्तर दिया। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर के प्रयासों को नकारते हुए कहा कि आतंकवाद के सरपरस्तों के नापाक मंसूबे कभी सफल नहीं होंगे। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि हमारी सेनाएँ पूरी ताकत से आतंकवाद को कुचलेंगी और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास: प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त को आर्टिकल 370 के समाप्ति की 5वीं वर्षगांठ की ओर इशारा करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर अब एक नए भविष्य की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर G-20 जैसे वैश्विक समिट की मेज़बानी कर रहा है और यह क्षेत्र विकास और बड़े सपनों की ओर अग्रसर है। लद्दाख में भी विकास की नई धारा बह रही है। शिनखुन ला टनल के निर्माण के साथ लद्दाख पूरे साल और हर मौसम में देश से जुड़ा रहेगा।
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प्रधानमंत्री ने बताया कि बीते 5 वर्षों में लद्दाख के बजट को 1,100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जिससे यहां के लोगों के विकास और सुविधाओं में सुधार हुआ है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता: प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों की सराहना की, जिनके कारण हमारी सेनाएँ अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर हो रही हैं। उन्होंने बताया कि भारत अब हथियारों के आयातक के बजाय निर्यातक के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। हमारी सेनाओं ने 5 हजार से अधिक हथियारों और सैन्य उपकरणों की लिस्ट तैयार की है, जिनकी आपूर्ति अब विदेश से नहीं की जाएगी।
समाप्ति: प्रधानमंत्री मोदी के ये संदेश बलिदान, विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करते हैं। कारगिल विजय दिवस पर दिए गए उनके भाषण ने न केवल शहीदों की याद को ताज़ा किया बल्कि देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों को पार करने के लिए प्रेरणा भी दी।
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