India-Russia के बीच साल 2019 में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डील साइन हुई थी। इस समझौते के तहत, रूस ने अब तक भारत को तीन S-400 यूनिट्स डिलीवर की हैं, और 2025 तक दो और यूनिट्स सौंपने की योजना है। S-400 एक अत्याधुनिक मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम है, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखता है। वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने जानकारी दी कि तीन यूनिट्स की डिलीवरी के बाद, अब रूस से दो और यूनिट्स की सप्लाई का इंतजार है।
चीन के खिलाफ भारत की तैयारी
वायुसेना प्रमुख ने यह भी बताया कि चीन लगातार एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर अपनी बुनियादी ढांचा विकास में तेजी ला रहा है। इसके जवाब में भारत भी तेजी से निर्माण कर रहा है। भारत ने S-400 को चीन से लगती सीमाओं पर तैनात कर दिया है, जिससे भारत की सीमाओं पर सैन्य ताकत मजबूत हो गई है।
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प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन की बातचीत
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते भारत को अभी तक दो S-400 यूनिट्स की सप्लाई नहीं मिल पाई है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस दौरे के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। इस बातचीत में S-400 की बाकी यूनिट्स की सप्लाई पर चर्चा हुई थी।
S-400 की तैनाती और विशेषताएं
भारत ने तीनों S-400 यूनिट्स को चीन से लगती सीमाओं पर तैनात किया हुआ है। यह सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन, और हवाई जहाजों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है। S-400 में 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक की चार मिसाइल रेंज होती हैं। यह सिस्टम 600 किलोमीटर की दूरी से कई टारगेट्स को पहचान सकता है और 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवाई लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है।
भारतीय और रूसी कंपनियों के बीच सहयोग
भारत में S-400 सिस्टम के रखरखाव और मरम्मत के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाने की तैयारी हो रही है। रूसी निर्माता अल्माज-एंटे और एक भारतीय कंपनी के बीच इस समझौते को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके दूसरे चरण में, S-400 के पुर्जों का उत्पादन भारत में किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया 2028 तक पूरी होने की उम्मीद है।