Jhajjar जिले के एक गांव में एक युवती द्वारा लगाए गए रेप के झूठे आरोप के मामले में महिला आयोग ने कड़ी कार्यवाही के आदेश दिए हैं। महिला आयोग की उपाध्यक्ष सोनिया अग्रवाल ने इस मामले में युवती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत संबंधित थाने में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
महिला आयोग की उपाध्यक्ष सोनिया अग्रवाल झज्जर के लघु सचिवालय में महिला विरूद्ध अपराध की शिकायतें सुनने पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने विभिन्न शिकायतों की सुनवाई की और कई मामलों का मौके पर ही निपटारा किया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि सोमवार को कुल दस मामलों की सुनवाई की गई, जिनमें से पांच झज्जर जिले से और पांच रेवाड़ी जिले से संबंधित थे।
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रेप का झूठा आरोप:
महिला आयोग की जांच में यह सामने आया कि संबंधित युवती ने लालच के वशीभूत होकर एक निर्दोष व्यक्ति पर रेप का झूठा आरोप लगाया था। थाने में शिकायत दर्ज कराने के साथ-साथ उसने महिला आयोग को भी इसकी सूचना दी थी। जांच के दौरान युवती ऐसा कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाई, जिससे उसके आरोप को सही ठहराया जा सके।
महिला आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए और सत्यता की पुष्टि के बाद युवती के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दिए। अग्रवाल ने कहा कि झूठे आरोप लगाने वाली महिलाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही जरूरी है, ताकि भविष्य में कोई भी महिला झूठे आरोप लगाकर किसी निर्दोष व्यक्ति की प्रतिष्ठा और जीवन को नुकसान न पहुंचा सके।
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अन्य शिकायतें और निपटारे:
सोनिया अग्रवाल ने बताया कि सुनवाई के दौरान अधिकतर शिकायतें पति और सास द्वारा तंग करने और घरेलू झगड़े से संबंधित थीं। इनमें से कई मामलों का मौके पर ही समाधान कर दिया गया, जबकि अन्य पर कार्यवाही जारी है।
उन्होंने कहा कि महिला आयोग का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है, लेकिन इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि कोई भी महिला झूठे आरोप लगाकर कानून का दुरुपयोग न करे।
महिला आयोग की इस सख्त कार्यवाही से समाज में एक मजबूत संदेश गया है कि झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। यह घटना न केवल महिलाओं को सचेत करने का काम करेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि महिलाओं से संबंधित सभी मामलों की निष्पक्ष जांच हो और न्याय हो।
समाज में संदेश:
महिला आयोग की इस कार्यवाही से यह स्पष्ट हो गया है कि झूठे आरोप लगाने की प्रवृत्ति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि झूठे आरोप न केवल निर्दोष व्यक्तियों को हानि पहुंचाते हैं, बल्कि न्याय प्रणाली के प्रति विश्वास को भी कम करते हैं।
महिला आयोग की उपाध्यक्ष सोनिया अग्रवाल की यह पहल महिलाओं को यह संदेश देती है कि वे अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहें, लेकिन किसी भी प्रकार की झूठी सूचना या आरोप से बचें। समाज को भी यह समझने की जरूरत है कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा तभी संभव है जब हम सभी इस दिशा में ईमानदारी और सचेतता से काम करें।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि महिला आयोग न केवल महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए तत्पर है कि किसी भी प्रकार के झूठे आरोप से समाज में अन्याय न हो। इस प्रकार की कार्यवाही से समाज में न्याय और सुरक्षा की भावना मजबूत होगी।
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